जीएसटी परिषद की पहली बैठक के परिणामों से राज्य खुश
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जीएसटी परिषद की पहली बैठक के परिणामों से राज्य खुश

अधिकांश राज्यों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की पहली बैठक में लिए गए फैसलों पर खुशी जताई है जबकि केरल ने इस नयी कर प्रणाली के लागू होने के बाद राज्यों के राजस्व में किसी तरह के नुकसान की भरपाई के फार्मूले पर फैसला करने की मांग की। राज्यों ने मुआवजे की गणना के लिए अपने राजस्व के आधार पर कुछ फार्मूलों का प्रस्ताव किया जबकि केंद्र ने प्रस्ताव रखा है कि अगर राज्यों की राजस्व वृद्धि दर 12 प्रतिशत से कम रहती है तभी उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।

नयी दिल्ली: अधिकांश राज्यों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की पहली बैठक में लिए गए फैसलों पर खुशी जताई है जबकि केरल ने इस नयी कर प्रणाली के लागू होने के बाद राज्यों के राजस्व में किसी तरह के नुकसान की भरपाई के फार्मूले पर फैसला करने की मांग की। राज्यों ने मुआवजे की गणना के लिए अपने राजस्व के आधार पर कुछ फार्मूलों का प्रस्ताव किया जबकि केंद्र ने प्रस्ताव रखा है कि अगर राज्यों की राजस्व वृद्धि दर 12 प्रतिशत से कम रहती है तभी उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।

केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा, ‘केंद्र ने बीते तीन साल के राजस्व के औसत का प्रस्ताव किया है, कुछ राज्यों का कहना है कि यह पांच में से तीन साल का श्रेष्ठ होना चाहिए। इसके बाद केंद्र ने सुझाव दिया कि यह देशव्यापी 12 प्रतिशत वृद्धि दर पर आधारित होना चाहिए। लगभग सभी राज्यों में सहमति थी कि यह पांच में से तीन साल का श्रेष्ठ होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि दर पर फैसला होने से पहले मुआवजे के बारे में तय हो जाना चाहिए।

गुजरात के वित्त राज्य मंत्री रोहित पटेल ने प्रस्ताव किया कि राज्यों को मुआवजे की गणना बीते दस साल के तीन श्रेष्ठ साल पर आधारित हो। पश्चिम बंगाल चाहता है कि बीते छह में तीन श्रेष्ठ साल चुने जाएं। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि सभी राज्यों में जीएसटी का कार्यान्वयन एक अप्रैल 2017 से करने को लेकर सहमति थी।

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा, ‘दिल्ली सरकार चाहती थी कि छूट सीमा 25 लाख रपये रखी जाए लेकिन परिषद ने 20 लाख रपये पर फैसला किया है। हमारा राजस्व बचेगा।’ उल्लेखनीय है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन की ओर बड़ा कदम बढाते हुए केंद्र व राज्यों ने 20 लाख रपये तक का सालाना कारोबार करने वाली इकाइयों को इस नयी ब्रिकी कर प्रणाली से छूट देने पर आज सहमति जतायी।

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