कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर मामले की अगली सुनवाई तक चार्जशीट में दर्ज नामों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई के लिए इजाजत नहीं मिली तो अदालत जांच एजेंसियों की तरफ से दायर चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेगी.
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नई दिल्ली: एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब तक सरकारी अनुमति न लेने पर पटियाला हाउस कोर्ट ने जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी को फटकार लगाई है. कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर मामले की अगली सुनवाई तक चार्जशीट में दर्ज नामों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई के लिए इजाजत नहीं मिली तो अदालत जांच एजेंसियों की तरफ से दायर चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लेगी.
दरअसल, जांच एजेंसियों ने पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम समेत अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन अब तक उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जो सरकारी अनुमति की जरूरत थी वह नहीं ली गई. ऐसे में अगर जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी की तरफ से दायर चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेती तो इस मामले में पी चिदंबरम और उनके बेटे समेत बाकी लोगों को राहत मिल सकती है. कोर्ट के फटकार के बाद अब जांच एजेंसियों पर सवाल उठने लगे हैं कि अदालत में चार्जशीट दायर कर दी थी तो सरकार से नामजद लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अनुमति क्यों नहीं ली. बहरहाल मामले की अगली सुनवाई 26 नंवबर को होगी.
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आपको बता दें कि एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी. चार्जशीट में पी चिदंबरम, उनके बेटे कार्ति चिदंबरम और पांच सरकारी अधिकारियों सहित 16 अन्यों के नाम हैं. चार्जशीट में शामिल सरकारी अधिकारियों में इकनॉमिक अफेयर्स के तत्कालीन सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी, अंडर सेक्रेटरी, डायरेक्टर हैं. जबकि ईडी ने इस मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में भ्रष्टाचार के मामले में एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर ए राजा और डीएमके की राज्यसभा सदस्य कनिमोई सहित सभी आरोपियों को भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया था.
सीबीआई ने चार्जशीट में बताया था कि फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) की क्लीयरेंस के संबंध में दो तरह की मनी ट्रेल पाई गई हैं. चार्जशीट में दावा किया गया था कि एयरसेल-मैक्सिस डील के दौरान कार्ति चिदंबरम की दो कथित कंपनियों-चेस मैनेजमेंट और एडवांटेज स्ट्रैटेजिक को 26 लाख रुपये और 87 लाख रुपये की दो अवैध पेमेंट की गई थी. सीबीआई ने कहा था कि ये पेमेंट कार्ति की कंपनियों को उस समय की गई, जब उनके पिता ने फाइनेंस मिनिस्टर के तौर पर FIPB के प्रपोजल को हरी झंडी दी थी.चार्जशीट में ये भी बताया गया था कि वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम के पास 600 करोड़ रुपये से अधिक के प्रपोजल के लिए FIPB क्लीयरेंस देने की शक्ति नहीं थी.