टाटा कैपिटल ने साइरस मिस्त्री के आरोप को किया खारिज
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टाटा कैपिटल ने साइरस मिस्त्री के आरोप को किया खारिज

टाटा कैपिटल ने आज कहा कि शिवा समूह की दो कंपनियों को 200 करोड़ रूपये का कर्ज देने को मंजूरी उसके निदेशक मंडल की एक समिति ने दी थी और इसके लिये उचित प्रक्रिया अपनायी गयी थी। कंपनी ने साइरस मिस्त्री के आरोप को खारिज कर दिया कि यह कर्ज एक कार्यकारी ट्रस्टी की ‘सलाह’ पर दिया गया था।

टाटा कैपिटल ने साइरस मिस्त्री के आरोप को किया खारिज

नई दिल्ली : टाटा कैपिटल ने आज कहा कि शिवा समूह की दो कंपनियों को 200 करोड़ रपये का कर्ज देने को मंजूरी उसके निदेशक मंडल की एक समिति ने दी थी और इसके लिये उचित प्रक्रिया अपनायी गयी थी। कंपनी ने साइरस मिस्त्री के आरोप को खारिज कर दिया कि यह कर्ज एक कार्यकारी ट्रस्टी की ‘सलाह’ पर दिया गया था।

टाटा कैपिटल ने आगे कहा कि यह सुविधा जून 2014 में दी गयी थी और कंपनी के आडिट किये गये वित्तीय लेखा-जोखा में इसका खुलासा किया गया था। कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (टीसीएफएसएल) ने 200 करोड़ रूपये सुरक्षित मियादी कर्ज शिवा इंडस्ट्रीज तथा होल्डिंग लिमिटेड (एसआईएचएल) तथा शिवा वेंचर्स लिमिटेड (एसवीएल) को दिया था। इसकी मंजूरी निदेशक मंडल की इनवेस्टमेंट क्रेडिट कमेटी ने दी थी।

बयान के अनुसार कर्ज की मंजूरी के लिये उपयुक्त आंतरिक प्रक्रिया अपनायी गयी थी। इस कर्ज के लिये पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी और सी शिवशंकरण की व्यक्तिगत गारंटी थी। साइरस मिस्त्री ने चेयरमैन पद से हटाये जाने के एक दिन बाद टाटा संस के निदेशक मंडल को लिखे पत्र में लिखा है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में फंसे कर्ज के कारण टाटा कैपिटल के बही खाते को दुरूस्त करने की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया था कि शिवा को कर्ज एक कार्यकारी ट्रस्टी वेंकटरमण की सलाह पर दिया गया था जो बाद में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति बन गयी।

वेलस्पन खरीद पर टाटा के दावे का मिस्त्री ने किया प्रतिवाद

टाटा समूह और विशेष तौर पर रतन टाटा पर अपने हमले को जारी रखते हुए कंपनी के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने आज समूह के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि निदेशक मंडल ने जून में टाटा पावर द्वारा वेलस्पन को खरीदे जाने के लिए सही से चर्चा नहीं की थी। मिस्त्री ने देर रात एक बयान में कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि रतन टाटा सोमवार को की गई कार्रवाई को वाजिब करार देने के लिए ऐसे सार्वजनिक बयान दे रहे हैं जो उनकी जानकारी और टाटा समूह के रिकॉडरें के विरोधाभासी हैं। टाटा के सूत्रों ने कहा कि टाटा ट्रस्ट्स के न्यासियों को वेलस्पन पावर के साथ हुए लेनदेन की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा निदेशक मंडल की बैठक के सभी नोट रतन टाटा के साथ साझा किए गए थे क्योंकि वह समूह के मानद चेयरमैन थे।

अपनी तरफ से साक्ष्यों को पेश करते हुए मिस्त्री ने कहा कि 2016 की शुरूआत में टाटा पावर ने टाटा संस के सामने एक प्रस्तुति दी थी कि ध्यान देने वाला मुख्य क्षेत्र नवीकरणीय उर्जा क्षेत्र होगा। और इसकी तारीफ टाटा संस के निदेशक मंडल ने भी की थी। साइरस मिस्त्री ने कहा, ‘टाटा संस के निदेशक मंडल तथा टाटा को 31 मई 2016 को नोट जारी किया गया था जिसमें प्रस्तावित वेलस्पन सौदे के बारे में सूचना थी और उनसे पूछा गया था कि क्या और कोई सूचना की जरूरत है।’

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