जेठ के हइ हनुमान जीः गंगा-जमुनी कहावत होई, बाकी इ साचों के देखेके मिली लखनऊ मे
Advertisement

जेठ के हइ हनुमान जीः गंगा-जमुनी कहावत होई, बाकी इ साचों के देखेके मिली लखनऊ मे

कहल जाला कि इ शहर ह नवाब के, लेकिन इहा सभे के मन मे बसेलन हनुमान. का हिन्दू का मुसलमान इ दूनो जात आउर सभे समाज मिली के पुजेला हनुमान जी के.

जेठ के हइ हनुमान जीः गंगा-जमुनी कहावत होई, बाकी इ साचों के देखेके मिली लखनऊ मे

लखनऊ : मंगल आउर शनिचर त हनुमान जी के सभे कोई पुजेला. लेकिन लखनऊ मे जेठ मास के मंगल के बड़का मंगल कहल जाला. ए दिन सभतर टाउन मे हनुमान जी के भोग लगावल जाला. ओकरा बाद बाकी जनता के परसादी बाट दिहल जाला. इ परसादी बनावे मे हिन्दू मुसलमान, सिख, इसाई सभे कोई के साथ होवेला. जेकरा जतना सरधा उतना अपना से कर देवेला. कहियो पूरी तरकारी त कहियो हलुआ, सरबत, भात छोला त कहियो बुनिया बाटल जाला. बड़का मंगल के बारे मे कहेला लोग कि इ नवाब मोहम्मद अली शाह के लइका बेमार रहे. ओकरा निमन होए के तनको उम्मीद ना रहे. अली शाह के मेहरारू बेगम रुबिया दर दरगाह से लेके सभत्तर घुम अइली. तबो उनकर लइका ठीक ना भ इल. बेगम रुबिया के कवनो हित बतइलन कि अलीगंज मे हनुमान जी के मंदिर बा. ओजन जाइके आपन लइका खातिर हनुमान जी से निहोरा कर. बेगम मंदिर मे जाइके पुजारी बाबा से आपन लइका के बेमारी के हाल बताके हनुमान जी से निहोरा करेलगली. 

मंदिर के पुजारी बेगम से कहले कि तू आपन लइका के मंदिर मे छोड़िके अभही तू घरे जा, सब बजरंग बली पर छोड़ द, निमन चाहे बेजाए अब इ हनुमान जी के हाथ मे रहेद. बेगम पुजारी बाबा के बात मानिके आपन घरे चल गइली. भोरे जब भइल त बेगम मंदिर मे गइली. तब उनका विसवारे ना होखे कि उनकर लइका जवना के जिये के कवनो भरोसा ना रहे, उ हसत-खेलत बा. बेगम के छाति गद गद हो गइल. उनका ओहिदिन खुश भइला के कवनो ठिकाना ना रहल. अपना लइका के निमन हो गइला पर बेगम मंदिर मे जवन कोना जहवा कवनो कमी रहे ओकरा के मरम्मत करवाए के ठान लेली. बेगम के मंदिर मे लगवावल एगो निशानी मंदिर के गुंबद के ऊपरवा चांदतारा के पित्तर के लागल वा. 

अइसही एगो आउर कथा एकरा से जोड़ल बा. नवाब सुजा उ दौला के दुसरकी बेगम जनाब ए आलिया के एकदिन सपना आइल की उ हनुमान जी के मंदिर बनवावत बारी. अब बेगम के सपना रहे ऎहीमे देर कवना बात के. हनुमान जी के एगो भारी पथ्थर के मूरति मगवावल गइल.  मूरति के एगो हाथी पर रखी के पूरा टाउन घुमावे के मन रहे ताकी हिंदू भाई लोग भी ए पूजा मे सामिल हो जाए लोग. जब जुलुस गोमती नदी के किनारे अलीगंज तक आइल रहे कि ओहिजन हाथी बइठ गइल. अब केतनो जोर लगावल जाए हाथी अपना जगहा से टस से मस ना भइल. बाद मे ओहिजन हनुमान जी के मंदिर बनवा के ओहिमे मूरति प्राण प्रतिष्ठा कर दिहल गइल.

इ सब घटना जेठ महीने के ह. फेर का बा,  बड़हन जग भइल. सारी जनता मे धनिया आउर मिठ्ठा के मिलाइके परसादी बाटल गइल. इहा त कहेला लोग कि जबले नवाबी शानो शौकत रहे. तबले नवाब के घरे से ही जेट महीना के हरेक मंगल के भोग लागे. आज के दिन नवाबी त खतम हो गइल, लेकिन हनुमान जी के जेठ मे पूजा पाठ के सगे भोग आउर भंडारा के नियम अबहियो चलत बा. मोहल्ला से लेके चउक चौराहा त सभे जगहा भंडारा करावल जाला. सरकारी आफिस होए चाहे सचिवालय के गेट सारा कर्मचारी एहदिन मिलजुल के ऎमे सहयोग करेला. 

भंडारा मे बाटल जाला
पहिले धनिया के भूज के ओकरा मे मिठ्ठा मिलाके बाटल जात रहे, ओकरा संगे एक गिलास पानी. जुग जमाना जइसे जइसे बदलल. ए परसादी मे ओकरा संगे फेर बदल भइल.अब त पुरी तरकारी, भात-छोला, हलुआ, बुनिया कहियो सरबत. जेकरा जेतना सरधा उतना उकरेला.

साफ-सफाई के रखल जाला ध्यान
देश भर मे चलत ता अभियान सफाई.  एकर के ध्यान मे रखेला इहा के जनता. जहवा भी भंडारा होएला ओजन कुड़ादान के सगे सगे साफ-सफाई के पूरा ध्यान रखल जाला. काहेकी प्लास्टिक के कटोरा गिलास आउर थाली से टाउन गंदा ना होखे. इ काम मे जिला प्रशासन से लेके नगर निगम ले सहयोग करेला. जवना चौराहा पर ज्यादे भीड भार होला उहां पुलिस पहिलही से आवे-जाए वाला के रास्ता साफ करवावेला. 

जे.बी.चैरेटेबल ट्रस्ट
हनुमान सेतु मंदिर ट्रस्ट के देख भाल मे चलेला. इहां मंदिर मे हनुमान जी के पूजा के सगे सगे मंदिर के बाहर बइठल भिखारी खातिर भोर के नाश्ता, दुपहरिया के खाना आउर रात के खाना दिहल जाला. इ मंदिर मे एगो रिक्सावान से लेकर शहर के अमीर से अमीर आदमी तक आपन सहयोग देवेलन. एहिजन तीन तरह के व्यवस्था कइल गइल बा पहिला हनुमान जी के रोज के भोग के, दूसरा मूरति के सजावट के आउर तीसरा मंदिर के सजावट के. अब जेकरा जवन सरधा होके इया आवेला आउर आपन नाम, मोहल्ला, फोन नम्बर के सग्गे इहो लिख देबेला की उ केतना रुपया दे सकत बा. सब सरधा पर बा. त अहिसही सबका सहयोग से चलत बा इ मंदिर. 

उहे मंदिर के तरफ से जे जरुरतमंद बारे उनका लड़की के वियाह, चाहे कवनो बर-बेमारी होए, जे लाचार बा इलाज करावे मे ओकरा के रुपया-पैसा से मदद कइल जाला. इ मंदिर के स्थापना 26 जनवरी 1967 के भइल रहे. इहा आजो यू पी के आउर बाहर के प्रदेश के लड़कन के कर्म-काण्ड के पढ़ाई पढ़ावल जाला. जवन की निशुल्क आउर आवासीय बा.

(लेखक- जयंत कुमार सिन्हा)

Trending news