रफी साहब की आवाज की खूबसूरती सीधे स्टूडियो के दरवाजे से निकलती थी : आशा भोसले
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रफी साहब की आवाज की खूबसूरती सीधे स्टूडियो के दरवाजे से निकलती थी : आशा भोसले

रफी साहब की आवाज की खूबसूरती सीधे स्टूडियो के दरवाजे से निकलती थी : आशा भोसले

नई दिल्लीः मशहूर पार्श्व गायिका आशा भोसले ने बुधवार को सदाबहार गायक मोहम्मद रफी की 90वीं जयंती पर उनकी दरियादिली और विनम्रता को याद करते हुए उन्हें अल्लाह का बंदा बताया। आशा ने बुधवार सुबह रेडियो के एक शो के दौरान कहा, ‘रफी साहब की आवाज की खूबसूरती सीधे स्टूडियो के दरवाजे से निकलती थी। वह सबसे आदाब कहते। उनका कभी किसी से झगड़ा नहीं हुआ। अगर कभी कोई उन्हें कुछ कह देता तो वह चुप रहते।

वह पलटकर जवाब नहीं देते थे। मुझे खीझ होती और मैं उनसे पूछती कि आप पलटकर जवाब क्यों नहीं देते हैं। तब वह मुझसे कहते कि जाने दो, जवाब देने का कोई मतलब नहीं है। वो अल्लाह के बंदे थे।’ आशा ने कहा, ‘वह कभी खुद की तारीफ नहीं करते थे। यहां तक कि उनके चेहरे पर कभी अपनी प्रसिद्धि का घमंड भी नहीं दिखता था।’ पांच हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज देने वाले रफी का जन्म 24 दिसंबर, 1924 को हुआ था। 31 जुलाई, 1980 को हृदयाघात से उनका निधन हो गया। उस वक्त वह 55 साल के थे।

 

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