'बेबी' (रिव्यू) : आतंकवाद पर भारी 'खिलाड़ी' अक्षय का दांव
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'बेबी' (रिव्यू) : आतंकवाद पर भारी 'खिलाड़ी' अक्षय का दांव

'अ वेडनेस्डे' और 'स्पेशल 26' जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके फिल्म निर्देशक नीरज पांडेय की फिल्म 'बेबी' आज सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई। दर्शक इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह फिल्म आंतकवादी गतिविधियों की संजीदगी और गहराई से पड़ताल करती है।

'बेबी' (रिव्यू) : आतंकवाद पर भारी 'खिलाड़ी' अक्षय का दांव

नई दिल्ली : 'अ वेडनेस्डे' और 'स्पेशल 26' जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके फिल्म निर्देशक नीरज पांडेय की फिल्म 'बेबी' आज सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो गई। दर्शक इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह फिल्म आंतकवादी गतिविधियों की संजीदगी और गहराई से पड़ताल करती है।

अक्षय कुमार, अनुपम खेर, केके मेनन और सुशांत सिंह जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म काफी रोमांच पैदा करती है। अक्षय कुमार ने अपने अभिनय से यह साबित कर दिया है कि इस तरह की भूमिकाओं के लिए बॉलीवुड में उनका कोई जवाब नहीं है। अक्षय बेजोड़ नजर आए हैं।   

खास बात है कि इस फिल्म में पाकिस्तानी टीवी कलाकार मिकाल जुल्फीकार और रशीद नाज ने अभिनय किया है।  

फिल्म 'बेबी' की कहानी एक गुप्तचर इकाई के इर्दगिर्द घूमती है, जिसका गठन आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखने और आतंकी साजिशें नाकाम करने के लिए किया गया है। फिल्म में अक्षय, अजय सिंह राजपूत नामक अधिकारी की भूमिका में हैं।

एक आतंकवादी चुनौती को विफल करने की कोशिश में अजय को देश पर एक बड़े हमले की साजिश के बारे में पता चलता है। इस हमले का साजिशकर्ता एक सनकी व्यक्ति है जिसके संगठन की पहुंच दुनिया भर के आतंकी संगठनों तक है। जैसे-जैसे दिन गुजरता है अजय और उनकी टीम के लिए चुनौती और खतरे बढ़ते जाते हैं। लेकिन अजय और उनकी टीम आतंकी साजिश को विफल करने के लिए रात-दिन एक कर देती है। आतंकवादियों की साजिश का पर्दाफाश और उनकी धरपकड़ के लिए अजय और उनकी बहादुर टीम काठमांडू, इस्तांबुल, अबु धाबी, दिल्ली और मुंबई में ऑपरेशन चलाती है। लेकिन क्या सनकी मौलाना रहमान पकड़ा जाता है? अथवा भारत पर हमला करने की उसकी नापाक साजिश सफल हो पाती है? इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।     

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी खास है। सुदीप चटर्जी ने बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी की है तो श्री नारायण सिंह ने अपने चुस्त संपादन से फिल्म का पेस कहीं कमजोर पड़ने नहीं दिया है। नीरज पांडे ने कहानी की बारीकियों को बेहद ब्यौरे के साथ पेश किया है। अजय (अक्षय कुमार) जो शादीशुदा और दो बच्चों के पिता हैं, उनके परिवार को भनक तक नहीं लगती कि वे एक एजेंट हैं।  

कुल मिलाकर नीरज पांडे ने अपने नाम को सार्थक किया है। फिल्म में एक्शन, रहस्य, रोमांच और मनोरंजन सभी कुछ है जो एक गंभीर फिल्म के लिए जरूरी होता है। फिल्म अपने अंतिम दृश्य तक दर्शकों को सीट तक रोके रखने में समर्थ है।    

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