लियो टॉलस्‍टॉय की स्‍टोरी, बीथोवन की धुन और RK स्‍टूडियो के लोगो में कुछ खास है...
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लियो टॉलस्‍टॉय की स्‍टोरी, बीथोवन की धुन और RK स्‍टूडियो के लोगो में कुछ खास है...

दुनिया के सर्वकालिक महानतम लेखकों में शुमार लियो टॉलस्‍टॉय का 9 सितंबर को 190वां जन्‍मदिन हैं.

लियो टॉलस्‍टॉय ने यथार्थवादी लेखन की जमीन तैयार करने के साथ अहिंसक प्रतिरोध के विचारों को प्रेषित किया.(फाइल फोटो)

महात्‍मा गांधी से लेकर मार्टिन लूथर किंग जूनियर को प्रभावित करने वाले दुनिया के सर्वकालिक महानतम लेखकों में शुमार लियो टॉलस्‍टॉय का 9 सितंबर को 190वां जन्‍मदिन है. उनका जन्‍म नौ सितंबर, 1828 को रूसी साम्राज्‍य के यास्‍नाया पोलयाना रियासत में हुआ था. वार एंड पीस (1869), आन्‍ना करेनिना (1877) जैसे उपन्‍यास लिखकर अमर होने वाले लियो टॉलस्‍टॉय ने यथार्थवादी लेखन की जमीन तैयार करने के साथ अहिंसक प्रतिरोध के विचारों को प्रेषित किया.

  1. नौ सितंबर को लियो टॉलस्‍टॉय का 190वां जन्‍मदिन हैं
  2. यथार्थवादी उपन्‍यासों, अहिंसा, शांति के विचारों को प्रेषित किया
  3. महात्‍मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर को प्रभावित किया

महात्‍मा गांधी
महात्‍मा गांधी के अहिंसक आंदोलन संबंधी विचारों में इसकी स्‍पष्‍ट छाप मिलती है. इस संबंध में महात्‍मा गांधी ने खुद कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रवास के दौरान जब वह एक रात ट्रेन में सफर कर रहे थे तो उनके मित्र ने टॉलस्‍टॉय की एक किताब उनको पढ़ने को दी. उसको पढ़ने के बाद उनकी दुनिया बदल गई. महात्‍मा गांधी के मन में इस महान लेखक के प्रति सम्‍मान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांधी ने उनके नाम से ही दक्षिण अफ्रीका में टॉलस्‍टॉय फार्म की स्‍थापना भी की.

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बीथोवन
जर्मनी के महान कंपोजर और पियानिस्‍ट लुडविग वान बीथोवन (1770-1827) ने वायलिन सोनाटा नंबर 9 को कंपोज किया. ये सोनाटा पियानो और वायलिन से संबद्ध था. ये बेहद मार्मिक, दर्दनाक, त्रासद और असाधारण रूप से तकरीबन 40 मिनट लंबी धुन है. इसको बनाने के बाद बीथोवन ने इसे वायलनिस्‍ट रुडोल्‍फ क्रुएत्‍ज (1766-1831) को समर्पित किया. इसलिए इसको क्रुएत्‍जर सोनाटा (Kreutzer Sonata) नाम दिया. हालांकि क्रुएत्‍जर को ये धुन पसंद नहीं आई और उन्‍होंने इसको लयबद्ध करने से इनकार कर दिया था.

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फ्रांस के पेंटर रेने-जेवियर प्रिनेट ने 1901 में एक पेंटिंग बनाई. इस पेंटिंग का नाम Kreutzer Sonata रखा और इसमें एक वायलनिस्‍ट और एक महिला को आलिंगनबद्ध दिखाया.(फाइल फोटो)

कहा जाता है कि लियो टॉलस्‍टॉय ने जब यह धुन सुनी तो वह द्रवित हो गए. उसके बाद उन्‍होंने The Kreutzer Sonata नाम से 1889 में एक छोटा सा नॉवेल लिखा. ये एक वायलनिस्‍ट और शादीशुदा महिला की मार्मिक लव स्‍टोरी पर आधारित उपन्‍यास है. हालांकि रूस में नैतिकता के सवालों के मद्देनजर इसको बैन कर दिया गया. लेकिन दुनिया के कई हिस्‍सों में इसे बेहद चाव से पढ़ा गया. इसी नॉवेल से प्रेरित होकर फ्रांस के पेंटर और इलस्‍ट्रेटर रेने-जेवियर प्रिनेट (1861-1946) ने 1901 में एक पेंटिंग बनाई. उन्‍होंने भी इस पेंटिंग का नाम Kreutzer Sonata ही रखा और इसमें एक वायलनिस्‍ट और एक महिला को आलिंगनबद्ध दिखाया.

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आरके स्‍टूडियो
कहा जाता है कि राज कपूर ने इस पेंटिंग को देखा था और जब 'बरसाई' फिल्‍म बनाई तो इसी तरह का कमोबेश प्रयोग फिल्‍म के पोस्‍टर के साथ किया गया. इसके बाद उन्‍होंने आरके स्‍टूडियो का लोगो भी इसी के तर्ज पर बनवाया. अब इसी आरके स्‍टूडियो को बेचे जाने की खबरें आ रही हैं.

लियो टॉलस्‍टॉय (1828-1910)
1. एक कुलीन परिवार में जन्‍मे लियो टॉलस्‍टॉय 1852-56 के दौरान बचपन से जुड़ी तीन आत्‍मकथात्‍मक किस्‍म की रचनाएं लिखने के कारण पहली बार चर्चा में आए. ये रचनाएं Childhood, Boyhood और Youth के नाम से प्रकाशित हुईं. वह रूसी सेना में शामिल हुए और क्रीमिया युद्ध (1855) लड़ा. इसके अनुभवों को उन्‍हेांने Sevastopol Sketches में पिरोया.

2. 1862 में विवाह के बाद 1863-1869 तक लियो टॉलस्टॉय का समय 'War and Peace'  और 1873-1876 तक का समय 'Anna Karenina' की रचना में बीता. इन दो महत्‍वपूर्ण औपन्‍यासिक कृतियों ने उनको साहित्‍य में अमरता प्रदान की. इसके साथ ही 'Family Happiness' (1859), 'A Confession' (1882), 'The Death of Ivan Ilyich' (1886) और 'Resurrection' (1899) उनकी अन्‍य कालजयी कृतियां हैं.

3. 1870 के दशक के बाद वह नैतिकता के संकट जैसे सवालों से जूझते रहे. इसी कड़ी में हिंसा के खिलाफ अहिंसा और शांति के विचारों को पोषित-पल्‍लवित करते रहे. इसकी परिणति The Kingdom of God Is Within You (1894) में दिखाई देती है. उनके आचार संबंधी विचारों ने दुनिया को आकर्षित किया. जीवन के अंतिम वर्षों में मानवमात्र के प्रति करुणा, दया, जीवन-मृत्‍यु के सवाल उनके चिंतन के प्रमुख केंद्र में थे. उन्‍होंने अंतिम समय में अपने धन-वैभव को त्‍याग दिया. 1910 में उनका निधन हो गया.

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