हिट एंड रन मामला: सलमान को 5 साल जेल की सजा, हाईकोर्ट ने दी 48 घंटे की अंतरिम जमानत
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हिट एंड रन मामला: सलमान को 5 साल जेल की सजा, हाईकोर्ट ने दी 48 घंटे की अंतरिम जमानत

सुपरस्टार सलमान खान को बुधवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब एक सत्र अदालत ने 2002 के हिट एंड रन मामले में उन्हें गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, बंबई उच्च न्यायालय द्वारा आठ मई तक अंतरिम जमानत दिए जाने के कारण वह फिलहाल जेल जाने से बच गए।

हिट एंड रन मामला: सलमान को 5 साल जेल की सजा, हाईकोर्ट ने दी 48 घंटे की अंतरिम जमानत

मुंबई : सुपरस्टार सलमान खान को बुधवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब एक सत्र अदालत ने 2002 के हिट एंड रन मामले में उन्हें गैर-इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, बंबई उच्च न्यायालय द्वारा आठ मई तक अंतरिम जमानत दिए जाने के कारण वह फिलहाल जेल जाने से बच गए। सलमान को दोषी करार दिए जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर न्यायालय आठ मई को सुनवाई करेगा।

उच्च न्यायालय ने सलमान को इस आधार पर जमानत दी कि आरोपी को दोषी ठहराने वाले विस्तृत आदेश की प्रति निचली अदालत ने उन्हें मुहैया नहीं कराई है और आदेश के सिर्फ दो पन्नों का ऑपरेटिव हिस्सा उपलब्ध कराया गया है। करीब 12 साल से भी ज्यादा पुराने इस मामले में सत्र अदालत के न्यायाधीश डी डब्ल्यू देशपांडेय की ओर से सलमान को पांच साल जेल की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, कुछ ही घंटों के भीतर उन्हें उच्च न्यायालय से 48 घंटे की अंतरिम जमानत मिल गई। सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद सलमान के वकीलों ने जमानत और दोषसिद्धी पर रोक के लिए बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम थिप्से ने सलमान की तरफ से पेश हुए देश के जानेमाने वकील हरीश साल्वे की दलीलें मान ली और उनकी अंतरिम जमानत मंजूर कर उन्हें बड़ी राहत दे दी।

अंतरिम संरक्षण की मांग करते हुए साल्वे ने कहा, अब तक हमें फैसले का सिर्फ दो पन्ने का ऑपरेटिव हिस्सा मिला है और दोषी ठहराए जाने के कारण बताने वाले विस्तृत आदेश की प्रति मुहैया नहीं कराई गई है। न्यायमूर्ति थिप्से ने कहा, इस मामले में जल्दबाजी यह है कि अपीलकर्ता (सलमान), जो पूरी सुनवाई के दौरान जमानत पर रहे, को आज हिरासत में लिए जाने की संभावना है। बहरहाल, आदेश की प्रति अब तक नहीं दी गई है। न्यायाधीश ने कहा कि न्याय के हित में यह उचित होगा कि आदेश की प्रति सलमान को मुहैया कराए जाने तक उन्हें संरक्षण दिया जाए। न्यायमूर्ति थिप्से ने कहा, जब प्रति तैयार होती, उस वक्त आदेश सुनाया जा सकता था। आज आदेश क्यों सुनाया गया ? यदि प्रति तैयार नहीं थी तो आदेश नहीं सुनाया जाना चाहिए था। न्यायाधीश ने सलमान को यह निर्देश भी दिया कि वह आज ही सुनवाई अदालत के समक्ष नया बांड जमा करें।

इससे पहले, दिन के समय सत्र न्यायाधीश डी डब्ल्यू देशपांडेय ने सलमान को पांच साल जेल की कड़ी सजा सुनाई। उन्हें आईपीसी की धारा 304-भाग-दो (गैर-इरादतन हत्या) सहित अन्य दंडात्मक कानूनों के तहत दोषी करार दिया गया। सलमान ने 2002 में अपने टोयोटा लैंड क्रूजर से बांद्रा में सड़क के किनारे स्थित अमेरिकन एक्सप्रेस बेकरी में टक्कर मारी थी। इसमें फुटपाथ पर सो रहे एक शख्स की मौत हो गई थी जबकि चार अन्य जख्मी हो गए थे। आईपीसी की धारा 304 (भाग-दो) के तहत गैर-इरादतन हत्या के जुर्म में सलमान को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई जबकि इस अपराध में 10 साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है। इस जुर्म में उन पर 25,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। सलमान को आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), 337 और 338 के तहत भी दोषी करार दिया गया। इसमें छह महीने जेल की सजा है।  

इसके अलावा, उन्हें मोटर वाहन कानून की धारा 181 (लाइसेंस के बगैर गाड़ी चलाना) और 185 (नशे में गाड़ी चलाना) के तहत छह महीने जेल की सजा सुनाई गई। उसे बंबई निषेध कानून की धारा 66 (ए) और (बी) के तहत भी दोषी करार दिया गया। इसके लिए उन्हें दो महीने जेल और 500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई। सारी सजा एक साथ चलेगी।

न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि सलमान के ड्राइवर अशोक सिंह घटना के वक्त गाड़ी चला रहे थे। उन्होंने अभियोजन की यह दलील स्वीकार कर ली कि ड्राइविंग के वक्त सलमान नशे में थे और उनके पास उस वक्त लाइसेंस भी नहीं था। न्यायाधीश ने कठघरे में खड़े सलमान से कहा, आपके खिलाफ सभी आरोप साबित हुए हैं..आपको क्या कहना है? उन्होंने कहा, मैंने पाया कि गाड़ी आप ही चला रहे थे। आप नशे में थे। मैं आपकी इस दलील से भी सहमत नहीं हूं कि जिस शख्स की मौत हुई थी, उसकी मृत्यु कार को हटाते वक्त उस पर क्रेन के गिरने की वजह से उसे आई चोटों के कारण हुई थी। न्यायाधीश देशपांडेय ने जब सजा सुनाई तो सलमान की आंखों में आंसू छलक आए।

बहरहाल, सफेद कमीज और हल्के नीले रंग की डेनिम जींस पहने सलमान ने जोर देकर कहा, मैं कार नहीं चला रहा था...लेकिन मैं आपके फैसले का सम्मान करता हूं और इसे स्वीकार करता हूं। मेरी तरफ से मेरे वकील बोलेंगे। इस अहम मामले में आज फैसले के मद्देनजर अदालत परिसर में और इसके आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, जहां सलमान के भाई अरबाज, सोहेल, बहन अर्पिता खान सहित उनका परिवार आज सुबह ही पहुंच गया था। कांग्रेस के पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी, फिल्म निर्माता रमेश तौरानी, सलमान की सचिव रेशमा शेट्टी और निजी अंगरक्षक शेरा भी इस मौके पर मौजूद थे।

28 सितंबर 2002 की रात को यह घटना हुई थी। उसके बाद से मामले में कई मोड़ आए हैं। पहले सलमान के खिलाफ आईपीसी, मोटर वाहन कानून 1988 और बंबई निषेध कानून 1949 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। अक्टूबर 2002 में मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 304-दो (गैर-इरादतन हत्या) का मामला दर्ज किया था जिसे उन्होंने मार्च 2003 में एक सत्र अदालत में चुनौती दी थी। सत्र अदालत ने उनकी अर्जी खारिज कर मजिस्ट्रेट अदालत को आरोप तय करने के आदेश दिए।

इसके बाद सलमान ने बंबई उच्च न्यायालय का रूख किया। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि इस मामले में गैर-इरादतन हत्या का आरोप नहीं बनता। इस पर महाराष्ट्र सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट इस बात पर फैसला कर सकते हैं कि इस मामले में आईपीसी की धारा 304-दो (गैर-इरादतन हत्या) का आरोप लागू किया जा सकता है कि नहीं।

अक्टबबर 2006 में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने सलमान के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने के अलावा कई अन्य दंडात्मक प्रावधानों में आरोप तय किए थे। इन आरोपों के तहत महज दो साल तक की सजा का प्रावधान है। अदालत ने गैर-इरादतन हत्या का आरोप तय नहीं किया था।

अक्टूबर 2011 में अभियोजन ने मांग की कि सलमान पर और सख्त धाराओं में मुकदमा चलना चाहिए। उस वक्त सुनवाई कर रहे अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वी एस पाटिल ने 17 गवाहों से जिरह के बाद इसे अचानक 23 दिसंबर 2013 को खत्म कर दिया और गैर-इरादतन हत्या का आरोप तय कर दिया। इसके बाद मामले को सुनवाई के लिए सत्र अदालत के पास भेज दिया गया।

आज सजा की अवधि की घोषणा से पहले सरकारी वकील प्रदीप घरात ने सलमान के लिए कड़ी सजा की मांग की ताकि समाज में एक संदेश जाए कि ऐसी हरकतों से सख्ती से निपटा जाता है। घरात ने कहा कि वह सलमान की इस दलील से संतुष्ट नहीं हैं कि हादसा ईश्वर की मर्जी थी। घरात ने कहा, यह एक गंभीर अपराध था और आरोपी को अधिकतम सजा दी जानी चाहिए थी।

वकील ने कहा कि लापरवाही से की जाने वाली ड्राइविंग की वजह से गाड़िया मौत का जाल बन गई हैं और समाज में संदेश जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में आरोपी हल्की सजा पाकर छुटकारा नहीं पा सकता। दूसरी ओर, सलमान के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा, सलमान का मामला एलिस्टियर परेरा और संजीव नंदा बीएमडब्ल्यू मामलों से अलग है। संजीव नंदा के मामले में पांच लोग मारे गए थे। परेरा के मामले में सात लोग मारे गए थे और कार से शराब की एक बोतल बरामद की गई थी। श्रीकांत ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के पहले के एक आदेश का पालन करते हुए सलमान ने 2002 में ही पीड़ितों को 19 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए थे। एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश दिया था। श्रीकांत ने यह भी कहा कि 2007 में अभिनेता ने समाज सेवा के लिए सलमान खान फाउंडेशन और ‘बीइंग ह्यूमन’ नाम का एनजीओ शुरू किया था। उन्होंने कहा कि सलमान ने बड़े पैमाने पर सामुदायिक सेवा की है। उन्होंने अदालत को इन संगठनों के बैलेंस शीट भी दिखाए ताकि उनकी ओर से किए गए परमार्थ कार्यों के बारे में बताया जा सके।

वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि सजा सुनाते वक्त नरमी बरती जाए। बचाव पक्ष के वकील ने एक फिजिशियन का वह प्रमाण-पत्र भी दिखाया जिसमें कहा गया था कि सलमान को न्यूरोलॉजिकल तकलीफ है जो उचित देखभाल न होने पर बढ़ सकती है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि सजा की अवधि की घोषणा करते वक्त इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाए। बहरहाल, जब सलमान ने उन्हें यह मुद्दा न उठाने के संकेत दिए तो वकील ने अदालत से कहा कि वह इस दलील पर जोर नहीं दे रहे हैं।

इसी से जुड़े घटनाक्रम में अदालत ने सामाजिक कार्यकर्ता संतोष दाउंडकर की वह अर्जी खारिज कर दी जिसमें पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। अर्जी में कहा गया था कि सुनवाई के दौरान गलत डॉक्टरों से पूछताछ की गई थी जिससे न्याय की प्रक्रिया में देर हुई। दाउंडकर की अर्जी खारिज करते हुए अदालत ने उन पर 10,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया। दाउंडकर ने अपनी अर्जी में एक प्रमुख गवाह गायक कमाल खान का बयान न लेने के लिए पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की थी। कमाल खान घटना के वक्त कार में सवार थे।

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