गुड़गांव में डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने कहा, 'कानून व्यवस्था में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर धारा 144 लगाई है.'
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गुरुग्राम: संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' के 25 जनवरी को रिलीज से पहले राजपूत करणी सेना की धमकी के मद्देनजर गुरुग्राम में रविवार तक निषेधाज्ञा लगा दी गई है. करणी सेना ने फिल्म की स्क्रीनिंग कर रहे सिनेमाघरों को निशाना बनाने की धमकी दी है. फिल्म का विरोध कर रहे संगठनों में सबसे मुखर करणी सेना का आरोप है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है. गुरुग्राम में 40 से ज्यादा सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स हैं.
गुरुग्राम में धारा 144 लागू
हरियाणा सरकार ने हालांकि कहा कि वह फिल्म के प्रदर्शन को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करेगी. गुरुग्राम में डिप्टी कमिश्नर विनय प्रताप सिंह ने कहा, 'कानून व्यवस्था में गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर धारा 144 लगाई है.' 25 जनवरी को फिल्म पद्मावत रिलीज हो रही है. सिंह ने कहा कि निषेधाज्ञा लागू होने के बाद 23 जनवरी से 28 जनवरी तक सिनेमाघरों के 200 मीटर के दायरे में अग्नेयास्त्र या दूसरे हथियारों के साथ लोगों की मौजूदगी, नारेबाजी या तख्तियां दिखाने पर पाबंदी रहेगी.
गुजरात में ज्यादातर सिनेमाघर मालिकों ने 'पद्मावत' नहीं दिखाने का फैसला किया : डिप्टी सीएम
वहीं गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने मंगलवार को कहा कि राज्य में ज्यादातर सिनेमाघर मालिकों ने स्वेच्छा से विवादास्पद बॉलीवुड फिल्म पद्मावत नहीं दिखाने का फैसला किया है. उन्होंने जोर दिया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है.
उप मुख्यमंत्री का बयान करणी सेना के नेता लोकेंद्र सिंह कालवी के परोक्ष रूप से धमकी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर जोरदार विरोध के बावजूद बॉलीवुड फिल्म का प्रदर्शन किया गया तो हिंसा हो सकती है. पटेल ने गांधीनगर में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय की ओर से हरी झंडी मिलने के बावजूद ज्यादातर सिनेमाघरों ने फिल्म दिखाने से मना कर दिया है. उन लोगों ने यह फैसला स्वेच्छा से किया है. राज्य सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिये अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है.’’
सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत की रिलीज से जुड़े आदेश में संशोधन से इनकार किया
इसस पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पद्मावत को पूरे देश में रिलीज करने संबंधी अपने 18 जनवरी के आदेश में संशोधन करने से इनकार करते हुए कहा कि लोगों को यह निश्चित तौर पर समझना चाहिए कि उन्हें शीर्ष अदालत के फैसले का पालन करना ही होगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने 18 जनवरी के फैसले में संशोधन की मांग करने वाली राजस्थान और मध्यप्रदेश की अर्जियों को खारिज करते हुए उक्त बात कही. न्यायालय ने गुजरात और राजस्थान में पद्मावत के प्रदर्शन पर लगी रोक को स्थगित करके 25 जनवरी को फिल्म रिलीज का रास्ता साफ कर दिया है. इस पीठ में न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ शामिल हैं.
पीठ ने कहा, ‘‘लोगों को निश्चित तौर पर यह समझना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश दिया है. उन्हें इसका पालन करना ही होगा . कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों की जिम्मेदारी है.’’ अर्जी खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हम अपने आदेश में संशोधन करने के इच्छुक नहीं हैं.’’ पीठ ने श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की संजय लीला भंसाली की फिल्म पर रोक लगाने की याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं. गौरतलब है कि करणी सेना लगातार फिल्म के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन कर रही है.
(इनपुट - भाषा)