'बत्ती गुल मीटर चालू', शाहिद बोले- 'जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी थी, तो मैं रो पड़ा'
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'बत्ती गुल मीटर चालू', शाहिद बोले- 'जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी थी, तो मैं रो पड़ा'

वहीं श्रद्धा कपूर का मानना है कि अगर फ़िल्म अच्छी हो तो लोगों तक उसका मैसेज जरूर पहुंचता है.

'बत्ती गुल मीटर चालू', शाहिद बोले- 'जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी थी, तो मैं रो पड़ा'

मुंबईः इस हफ्ते शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर और यामी गौतम की फ़िल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' सिनेमा घरों में रिलीज होने वाली है. सभी एक्टर्स फिल्म के प्रोमोशन्स में जुटे हुए है, ज़ी मीडिया से हुई खास मुलाकात में फ़िल्म के एक्टर्स ने इस फ़िल्म और फ़िल्म के किरदारों से जुड़ी कई कहानियां बताई. फ़िल्म में शाहिद कपूर एक वकील के किरदार में और श्रद्धा कपूर डिज़ाइनर के किरदार में नज़र आएगी. इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट जब शाहिद कपूर ने पहली बार सुनी तो उनकी आंखें नम हो गई. शाहिद को स्क्रिप्ट बेहद पसंद आई.

शाहिद ने बताया, "जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी थी, तो फ़िल्म के अंत में मैं रो पड़ा. क्योंकि मैं इतना प्रभावित हो गया, मैंने सोचा अगर मैं ऐसा फील कर सकता हूं और मेरे लिए आज ये इशू रिलेवेंट बन सकता है, तो अगर इस बात को हम लोगों तक पहुंचा पाए तो कितना अच्छा होगा. फिल्में एक मध्यम है जिसके जरिये आप एक इशू को पर्सनल स्टोरी के जरिये आम आदमी तक पहुंचा सकते हैं और अक्सर ऐसा होता है हम लोग बहुत आदि हो चुके हैं, न्यूज़ पेपर में कुछ पढ़ते है, और हम उसको पलट देते हैं और ज़िंदगी में आगे बढ़़ जाते हैं.

 

सिनेमा एक ऐसा मीडियम है, जिसके जरिये आप लोगों के दिल तक पहुंच सकते हैं. और जब कोई भी ऐसा इशू है,जो किसी और का है तो ऐसा लगता है यह हमारा इशू नहीं है लेकिन अगर हमें ऐसा लगने लगे कि ये इशू हमारा है तो उसकी तरह आपका पूरा नज़रिया बदल जाता है और शायद फिर एक जागृति आती है अंदर से के उसके बारे में कुछ करना चाहते है. तो इस फ़िल्म के अंदर कहानी को इस तरह कहा गया है कि वह लोगो के दिल तक पहुंचे. बहुत पर्सनल स्टोरी है, कैरेक्टर्स के साथ समय बिताया है, फ़िल्म मेकर्स ने ताकि लोग उनके साथ कनेक्ट हो सके."

शाहिद आगे कहते है, "एक तरफ तो वह लोग है, जिनके बारे में यह कहानी है, तो उनके लिए ये उनकी अंदर की फीलिंग्स है, जो आज तक वो बाहर नहीं पहुंचा पाए क्योंकि उनके पास कोई प्लेटफार्म नहीं है. यह एक माध्यम है जिससे हम लोगों तक यह बात पहुंचा रहे हैं. दूसरा उन लोगों के लिए है यह फ़िल्म जो जानते नहीं यह परेशानी कितनी बड़ी परेशानी है. वो चाहे या न चाहे वो इसका हिस्सा है. क्योंकि इलेक्ट्रिसिटी तो पूरे देश में उतनी बनती है तो अगर जो लोग उनको यूज़ कर रहे है या एब्यूज कर रहे है क्योंकि इतनी आसानी से हासिल है वो ये नहीं समझेंगे की उसको बचाने से लोगों की कितनी मदद कर सकते हैं, तब तक ये प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो सकता. इसलिए बत्ती गुल मीटर चालू बहुत जरूरी फ़िल्म है."

श्रद्धा कपूर का मानना है कि अगर फ़िल्म अच्छी हो तो लोगों तक उसका मैसेज जरूर पहुंचता है. श्रद्धा ने कहा, "यह इशू बेस्ड फ़िल्म है और इसे एंटरटेनिंग तरीके से हम ऑडियंस तक पहुंचा सकते है और लोग एंटरटेन हो जाएं और एक इमोशनल कनेक्ट बना सके तो अच्छा लगेगा. कोई भी चीज़ में अगर इंटेंशन सही होता है तो वो लोगों के दिलों को जरूर छूती है. बत्ती गुल मीटर चालू ऐसी फ़िल्म है."

टॉयलेट- एक प्रेम कथा नामक हिट फिल्म में निर्देशक श्री नारायण सिंह ने गांव में शौचालय की शोचनीय स्थिति पर फिल्म बनाई थी. अब वे बिजली और बिजली के बढ़े हुए बिलों का मुद्दा अपनी फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' में उठा रहे हैं. यह फिल्म उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर बनी है और बिजली विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार पर आधारित है. इसकी कहानी शाहिद कपूर के दोस्त त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) पर आधारित है जो फिल्म में बिजली कटौती के चलते आत्महत्या कर लेता है. फिल्म में शाहिद और श्रद्धा कपूर के अलावा यामी गौतम भी मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म 21 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.  

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