इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि केरल में फैले निपाह वायरस का असली कारण फ्रूट बैट्स (चमगादड़) ही थे.
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नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि केरल में फैले निपाह वायरस का असली कारण फ्रूट बैट्स (चमगादड़) ही थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों को चमगादड़ में वायरस के पुख्ता सबूत मिले हैं, जिसकी वजह से केरल के कोझिकोड़ और मल्लापुरम में 17 लोगों की मौत हुई थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि वैज्ञानिकों ने जिन चमगादड़ों पर टेस्ट किया उनका रिजल्ट पॉजिटिव निकला. शुरुआत में जिन चमगादड़ को जांच के लिए भेजा गया था, उनका टेस्ट निगेटिव इसलिए था, क्योंकि वह फ्रूट बैट्स नहीं थे.
कैसे फैलता है निपाह वायरस (NiV)
वैज्ञानिकों ने यह भी खुलासा किया है कि निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शन है. यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है. निपाह वायरस, हेंड्रा वायरस से संबंधित है, जो घोड़ों और मनुष्यों के वायरल सांस संक्रमण से संबन्धित होता है. ये वायरस तेजी से फैलता है और दिमाग को प्रभावित करता है, जिससे 48 घंटों के अंदर ही व्यक्ति कोमा में जा सकता है. निपाह वायरस इसलिए सबसे ज्यादा घातक है क्योंकि इसका आज तक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है.
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ऐसे हुई निपाह वायरस की पुष्टि
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिसीज ने मई में कोझिकोड़ की ग्राम पंचायत चंगारोथ से कुछ सैंपल लिए थे, यह सैंपल मांसाहारी चमगादड़ के थे, जिसकी वजह से इनमें निपाह वायरस के लक्षण नहीं मिले थे. उस दौरान फ्रूट बैट्स पर रिसर्च नहीं की गई थी. सैंपल की दूसरी टेस्टिंग में फ्रूट बैट्स (शाकाहारी चमगादड़) के सैंपल टेस्ट किए गए, जिसके बाद यह पुष्टि हुई कि फ्रूट बैट्स के जरिए ही निपाह वायरस फैला था.
दूसरे बैच में 55 चमगादड़ की हुई जांच
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिकों के मुताबिक, पहले बैच में 21 मांसाहारी चमगादड़ के सैंपल टेस्ट किए गए थे. जिनमें निपाह वायरस के लक्षण नहीं मिले थे. दसरे बैच में 55 चमगादड़ की जांच की गई. यह चमगादड़ फ्रूट बैट्स थे. इनका रिजल्ट पॉजिटिव पाया गया.
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खजूर से फैला था वायरस
केरल में फैले इस इंफेक्शन का मुख्य स्रोत फ्रूट बैट्स ही थे. इनके जरिए ही यह लोगों में फैला था, जिसकी वजह से 17 लोगों की मौत हुई थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक, खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्शन की चपेट में जल्दी आते हैं. 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे.
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चमगादड़ की नस्ल में मिलता है निपाह
WHO के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ की एक नस्ल में पाया जाता है. यह वायरस उनमें प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. चमगादड़ जिस फल को खाती है, उनके अपशिष्ट जैसी चीजों के संपर्क में आने पर यह वायरस किसी भी अन्य जीव या इंसान को प्रभावित कर सकता है. ऐसा होने पर ये जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है.