जानिए, रोने के पीछे क्या हैं सही कारण?
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जानिए, रोने के पीछे क्या हैं सही कारण?

एक गाना लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है- "सौ आंसू रोये दो आंखियां"। सही मायने में हमारी इन दो आंखों से कई तरह के आंसू निकलते हैं, खुशी के आंसू, दुख के आंसू, कोई हमारा दिल तोड़ दे तो आंसू और जब हम अकेलेपन या तनाव में होते है तो हमारे आंखों से बरबस आंसू निकल आता है।

जानिए, रोने के पीछे क्या हैं सही कारण?

नई दिल्ली : एक गाना लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है- "सौ आंसू रोये दो आंखियां"। सही मायने में हमारी इन दो आंखों से कई तरह के आंसू निकलते हैं, खुशी के आंसू, दुख के आंसू, कोई हमारा दिल तोड़ दे तो आंसू और जब हम अकेलेपन या तनाव में होते है तो हमारे आंखों से बरबस आंसू निकल आता है।

जीव विज्ञान के अनुसार, पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन (testosterone) नामक हार्मोन्स अधिक मात्रा में पाया जाता है जो आंसू को रोकने का काम करता है जिसके कारण हम पुरुषों को कम रोते देखते हैं। वहीं दूसरी ओर, महिलाओं के शरीर में प्रोलैक्टिन (prolactin) नामक हार्मोन्स अधिक मात्रा में पाया जाता है जिसके कारण महिलाएं बात-बात पर रो देती है। हांलाकि ये दो हॉरमोन्स ही रोने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार नहीं है।

स्वास्थ्य के लिए हंसना लाभदायक माना जाता रहा है, किंतु कई खोजों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि रोना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। रोकर अनेक तरह के रोगों का उपचार किया जा सकता है। प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में आंसू रोकने से होने वाले रोगों का उल्लेख किया गया है। आंसुओं के निकल जाने से विभिन्न प्रकार के रोग जैसे सिर एवं हृदय में पीड़ा, जुकाम, चक्कर आना, गरदन का अकड़ना आदि दूर हो जाते हैं। 

इसी प्रकार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी रोना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना गया है। अमेरिका के एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के अनुसार अमेरिका में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियां रोकर अपनी आयु में वृद्धि कर लेती हैं, जबकि पुरुष अपने अहं के कारण रोना नहीं चाहते हैं और अनेक प्रकार के रोगों से घिरे रहते हैं। यदि पुरुष भी मानसिक आघातों से त्रस्त होने पर आंसू बहा दिया करें तो उनमें रक्तचाप एवं हृदय संबंधी रोगों में कमी आ सकती है। जोर से रोने पर मनुष्य के मस्तिष्क में दबी भावनाओं का तनाव दूर हो जाता है, जिससे काफी राहत महसूस होती है एवं शक्ति की भी अनुभूति होती है। 

आंसू के कारण ही आंखें नम रहती हैं। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि भावनात्मक आंसू अवसाद, उदासी एवं क्रोध को समाप्त करते हैं। रोने से मन का संपूर्ण मैल धूल जाता है। अतः जब कभी भी किसी कारण से रोना आए तो उसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि खुलकर आंसू को बाहर आने देना चाहिए। अन्यथा आंखों में रुके हुए ये आंसू स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

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