Zee जानकारी : पूरी दुनिया में फट सकता है बैक्टीरिया बम
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Zee जानकारी : पूरी दुनिया में फट सकता है बैक्टीरिया बम

अगर मैं आपसे पूछूं कि दुनिया में सबसे बड़ा मानव निर्मित खतरा कौन सा है? ऐसी कौन सी चीज़ है जो एक साथ लाखों लोगों को मार सकती है? तो शायद आपका जवाब होगा परमाणु बम लेकिन ये जवाब सही नहीं है। परमाणु बम एक साथ लाखों लोगों की जान तो ले सकता है। लेकिन इसका इस्तेमाल अंतिम विकल्प के रूप में ही हो सकता है। वैसे भी परमाणु बमों को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। इसलिए परमाणु बमों का इस्तेमाल करना आसान नहीं है। लेकिन एक छोटा सा बैक्टीरिया जिसे बिना माइक्रोस्कोप के देखा भी नहीं जा सकता वो दुनिया में लाखों लोगों की जान ले रहा है। और इस पर किसी का नियंत्रण भी नहीं है। बैक्टीरियाज को सुरक्षा घेरे में भी नहीं रखा जा सकता है। 

Zee जानकारी : पूरी दुनिया में फट सकता है बैक्टीरिया बम

नई दिल्ली : अगर मैं आपसे पूछूं कि दुनिया में सबसे बड़ा मानव निर्मित खतरा कौन सा है? ऐसी कौन सी चीज़ है जो एक साथ लाखों लोगों को मार सकती है? तो शायद आपका जवाब होगा परमाणु बम लेकिन ये जवाब सही नहीं है। परमाणु बम एक साथ लाखों लोगों की जान तो ले सकता है। लेकिन इसका इस्तेमाल अंतिम विकल्प के रूप में ही हो सकता है। वैसे भी परमाणु बमों को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है। इसलिए परमाणु बमों का इस्तेमाल करना आसान नहीं है। लेकिन एक छोटा सा बैक्टीरिया जिसे बिना माइक्रोस्कोप के देखा भी नहीं जा सकता वो दुनिया में लाखों लोगों की जान ले रहा है। और इस पर किसी का नियंत्रण भी नहीं है। बैक्टीरियाज को सुरक्षा घेरे में भी नहीं रखा जा सकता है। 

WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 12 ऐसे बैक्टीरियाज की पहचान की है। जो दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुके हैं। इन बैक्टीरियाज पर एंटीबॉयोटिक्स दवाएं असर नहीं कर रही हैं। और ये बैक्टीरियाज जल्द ही पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौत का कारण बन सकते हैं। यानी पूरी दुनिया में बैक्टीरिया बम फटने वाला है और अगर इसे डिफ्यूज़ नहीं किया गया तो ये बैक्टीरिया बम लाखों-करोड़ों लोगों की जान ले लेगा। बल्कि आप कह सकते हैं कि इसनें ऐसा करना शुरू भी कर दिया है। WHO ने 12 बैक्टीरियाज की लिस्ट जारी की है और कहा है कि अगर जल्द ही इन बैक्टीरियाज से लड़ने के लिए नई एंटीबॉयोटिक्स नहीं खोजी गई तो, पूरी दुनिया में एक बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। 

इन 12 बैक्टीरियाज के नाम बहुत जटिल है इसलिए हम इनके नामों को पढ़कर नहीं सुनाएंगे। लेकिन आपको बता दें कि ये 12  बैक्टीरियाज अलग-अलग खानदानों से संबंध रखते हैं। बैक्टीरियाज के पहले परिवार में 3 बैक्टीरियाज हैं। जिन्हें सबसे ज्यादा खतरनाक माना गया है। ये इतने खतरनाक हैं कि इन पर दुनिया की सबसे एडवांस्ड एंटीबॉयोटिक्स भी असर नहीं कर रही हैं। ये बैक्टीरियाज हॉस्पिटल और नर्सिंग होम्स के वातावरण में पाए जाते हैं। इसके अलावा ये उन मरीज़ों के शरीर में भी पहुंच जाते हैं, जिन्हें वेंटिलेटर्स पर रखा जाता है। ये बैक्टीरियाज खून के संक्रमण और निमोनिया जैसी बीमारियां दे सकते हैं। जिससे मरीज़ों की मौत हो जाती है। 

WHO ने इन 3 बैक्टीरियाज को क्रिटिकल श्रेणी में रखा है। यानी इन बैक्टीरियाज का इलाज करने के लिए नई एंटीबॉयोटिक्स की ज़रूरत सबसे ज्यादा है।  

बैक्टीरियाज के दूसरे परिवार में 6 सदस्य हैं और इन बैक्टीरियाज के खिलाफ भी एंटीबॉयोटिक्स दवाओं का असर तेज़ी से खत्म हो रहा है। WHO ने इन 6 बैक्टीरियाज को हाई कैटेगरी में रखा है। यानी इनसे लड़ने के लिए भी जल्द से जल्द नई एंटीबॉयोटिक्स खोजनी होगी। इसी तरह तीसरे परिवार में 3 बैक्टीरियाज हैं और ये भी तेज़ी से ड्रग रेजिस्टेंट होते जा रहे हैं। WHO ने इन 3 बैक्टीरियाज को मध्यम खतरे वाला बताया है। 

WHO ने दुनिया भर की सरकारों और प्राइवेट फार्मास्यूटिकल कंपनियों से अपील की है कि वो जल्द से जल्द इन बैक्टीरियाज का इलाज ढूंढें। आपको बता दें कि पहली एंटीबॉयोटिक दवा पेंसिलीन की खोज वर्ष 1928 में कर ली गई थी। इसके बाद 5 अलग-अलग श्रेणी की एंटीबायोटिक्स की खोज की गई। 

लेकिन 1987 के बाद से वैज्ञानिक एंटीबॉयोटिक दवाओं की कोई नई क्लास नहीं खोज पाए हैं। इसलिए पूरी दुनिया में एंटीबॉयोटिक्स के क्षेत्र में सबसे ज्यादा R&D यानी रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ज़रूरत है। ये विडंबना है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में नए ग्रहों की खोज तो बहुत तेज़ी से कर रहे हैं। ताकि वहां इंसानों की बस्ती बसाई जा सकें। लेकिन कोई भी देश नई एंटीबॉयोटिक्स खोजने की दिशा में मज़बूती के साथ पहल नहीं कर रहा है। वैसे फार्मास्यूटिकल कंपनिया भी इसके लिए दोषी हैं। क्योंकि नई एंटीबॉयोटिक दवाएं इन कंपनियों के लिए फायदे का सौदा नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनियों को लगता है कि बैक्टीरियाज पर नई एंटीबॉयोटिक दवाएं कुछ ही वर्षों में बेअसर हो जाएंगी इसलिए R&D पर पैसा खर्च करना फायदे का सौदा नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि WHO द्वारा जारी की गई लिस्ट में पहली यानी क्रिटिकल श्रेणी में शामिल ज्यादातर बैक्टीरियाज एशियाई देशों में ही पाए जाते हैं। इसलिए पश्चिमी देशों की दवा कंपनियां और सरकारें इन्हें लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। उन्हें लगता है कि ये एशियाई और ख़ासतौर पर दक्षिण एशियाई देशों की समस्या है। और इससे उनका कोई लेना देना नहीं है। 

आम लोगों की धारणा है कि एंटीबायोटिक दवाओं से कोई नुकसान नहीं होता। इसीलिए जरा-सी सर्दी-ज़ुकाम या मामूली दर्द होने पर भी लोग एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं। ऐसा करने से बैक्टीरियाज और शक्तिशाली हो रहे हैं और हमारी एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं। दुनिया के लिए, परमाणु हथियारों से भी बड़ा खतरा वो छोटे-छोटे बैक्टीरियाज हैं, जिन्हें हम इंसानों ने अमर बना दिया है। 

एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के मामले में भारत नंबर एक पर है। हमारे देश में लोग ज़रा-ज़रा सी बात पर एंटीबायोटिक दवाएं खा लेते हैं और जाने-अनजाने में खतरनाक बैक्टीरियाज की मदद करते हैं। और जब लंबे समय तक ऐसा होता रहता है तो बैक्टीरियाज अमर हो जाते हैं। इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें और अपने डॉक्टर से सलाह लिए बगैर कभी भी एंटीबॉयोटिक्स ना लें।

नोटबंदी का अर्थव्यस्था की विकास दर पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा

आज भारत की अर्थव्यस्था की विकास दर के नए आंकड़े आए हैं। और आपको जानकर खुशी होगी कि नोटबंदी का अर्थव्यस्था की विकास दर पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है। आपको याद होगा जब पिछले वर्ष नवंबर में नोटबंदी हुई थी, तो कई अर्थशास्त्रियों ने विकास दर घटने की आशंका जताई थी। और ऐसे अर्थशास्त्रियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे। 

लेकिन आज अक्टूबर 2016 से दिसंबर 2016 तक के क्वार्टर के जो आंकड़े आए हैं, उनके मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था ने 7 प्रतिशत की दर से तरक्की की है। ये दर जुलाई 2016 से सितंबर 2016 के दौरान रिकॉर्ड की गई वृद्धि दर से थोड़ी कम है। दूसरे क्वार्टर में GDP की वृद्धि दर 7.4% थी। 

जबकि इससे पहले अप्रैल से जून 2016 के क्वार्टर में देश की अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। ख़ास बात ये है कि जीडीपी के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के दौरान कृषि के क्षेत्र में बढ़त दर्ज़ की गई है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ऐसा अनुमान जताया था कि नोटबंदी की वजह से GDP की विकास दर 6.1 प्रतिशत तक घट सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

IMF यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत की विकास दर 6.6% रहने का अनुमान जताया था। ये सारे अनुमान नोटबंदी की वजह से ही लगाए गए थे, लेकिन नोटबंदी का भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर नहीं हुआ है। GDP विकास दर के ये ताज़े आंकड़े बताते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी धीमी तो पड़ी है, लेकिन भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसी Quarter में चीन की अर्थव्यवस्था 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। यानी नोटबंदी के बावजूद ग्रोथ रेट के मामले में भारत, चीन से आगे है।

सरकार ने जब आज से करीब 4 महीने पहले नोटबंदी की घोषणा की थी, तो पूरे विपक्ष ने देश की अर्थव्यवस्था पर इसके गलत असर की आशंका जताई थी। विपक्ष का विरोध ही इस बात को लेकर था कि इससे देश की विकास की रफ्तार घट जाएगी। राज्यसभा में नोटबंदी पर बहस के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तो GDP ग्रोथ रेट में 2 प्रतिशत की कमी आने की भविष्यवाणी कर दी थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

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