मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामला: पांच दोषियों को फांसी की सजा, सात को आजीवन कारावास
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मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामला: पांच दोषियों को फांसी की सजा, सात को आजीवन कारावास

मुंबई में साल 2006 लोकल ट्रेनों में सीरियल बम विस्फोटों के करीब नौ साल बाद विशेष अदालत ने बुधवार को इस मामले में 12 दोषियों की सजा का ऐलान कर दिया। जानकारी के अनुसार, इस केस में कुल 12 दोषियों में से 5 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं, 7 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई। मकोका कोर्ट ने आज इस केस में नौ साल के बाद सजा का ऐलान किया। गौर हो कि इन विस्फोटों में 188 लोगों की जानें गई थी।

फाइल फोटो

मुंबई : मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के नौ वर्ष बाद एक विशेष मकोका अदालत ने बुधवार को यहां मामले के 12 दोषियों में से पांच को मृत्युदंड और शेष (7 दोषी) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इन विस्फोटों में 188 लोग मारे गए थे।

विशेष न्यायाधीश यतीन डी शिंदे ने फैसला सुनाते हुए कमाल अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दीकी (30), नवीद हुसैन खान (30) और आसिफ खान (38) को मौत की सजा सुनाई। इन पांचों लोगों ने बम लगाए थे। इसके अलावा तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख  (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुज्जम्मिल शेख (27), सोहैल महमूद शेख (43) और जमीर अहमद शेख (36) को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

खार रोड-सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरवली के बीच 10 मिनट के अंतराल में लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोटों से मुंबई दहल गई थी। अदालत ने सजा को लेकर पिछले सप्ताह दोनों पक्षों की दलीलों की सुनवाई पूरी की थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने 12 में से आठ आरोपियों को मृत्युदंड दिए जाने और चार अन्य के लिए आजीवन कारावास की मांग की थी। विशेष मकोका अदालत ने 23 सितंबर को सजा को लेकर अपना फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले अदालत ने 11 सितंबर को 13 में से 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया था। इन सभी के प्रतिबंधित संगठन सिमी से कथित संबंध रहे हैं। आरोपियों को भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक अधिनियम, गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम अधिनियम, भारतीय रेलवे अधिनियम और मकोका के प्रावधानों के तहत दोषी पाया गया था। अदालत ने सभी 12 आरोपियों को मकोका की धारा 3 (1) (आई) के तहत भी दोषी पाया, जिसके तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई जा सकती है। इन 13 आरोपियों को मामले की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ मामले की सुनवाई की गई। ये सभी भारतीय हैं।

पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तोएबा के सदस्य आजम चीमा समेत 13 पाकिस्तानी नागरिक इस मामले में फरार हैं। न्यायाधीश शिंदे ने 12 आरोपियों के दोषी पाए जाने के बाद बचाव पक्ष के वकीलों को गवाहों से पूछताछ करने की अनुमति दी थी । इसके बाद बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत को यह दिखाने के लिए नौ गवाहों से पूछताछ की कि आरोपियों ने स्वयं को सुधारा है और इसलिए उन्हें मृत्युदंड न दिया जाए। गवाहों की सूची में आरोपियों के संबंधी, चिकित्सक, अध्यापक और अन्य लोग शामिल थे जबकि एक दोषी ने मुंबई में 2012 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में एक अन्य आरोपी से पूछताछ की।

गवाहों से पूछताछ के बाद बचाव पक्ष के वकीलों ने 12 दोषियों के प्रति नरमी दिखाने की अपील करते हुए कहा था कि वे केवल सरगना चीमा के प्यादे थे। विशेष सरकारी अभियोजक राजा ठाकरे ने मामले के सभी दोषियों को ‘मौत का सौदागर’ करार देते हुए आठ दोषियों को मौत की सजा दिए जाने पर जोर दिया था। ठाकरे ने अदालत को यह भी बताया कि (सामाजिक) विचारकों को लगता है कि इन दोषियों को रखने के लिए सरकार पर बोझ क्यों डाला जाए। ईमानदार करदाताओं का धन क्यों खर्च किया जाए।

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