मालेगांव मामला : साध्वी प्रज्ञा को मिली जमानत, पुरोहित की अर्जी खारिज
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मालेगांव मामला : साध्वी प्रज्ञा को मिली जमानत, पुरोहित की अर्जी खारिज

बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट की साजिश रचने की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मंगलवार को जमानत दे दी लेकिन सह.आरोपी और पूर्व ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.

साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता : कोर्ट

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट की साजिश रचने की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मंगलवार को जमानत दे दी लेकिन सह.आरोपी और पूर्व ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं.

साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता : कोर्ट

अदालत ने कहा कि 44 वर्षीय साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. अदालत ने साध्वी से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को अपना पासपोर्ट सौंपने और पांच लाख रुपए का नकद मुचलका पेश करने का आदेश दिया. साध्वी प्रज्ञा को नौ साल पहले गिरफ्तार किया गया था.न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फनसाल्कर जोशी की खंडपीठ ने कहा, ‘प्रथम दृष्टया साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. लेकिन यह विश्वास करने के लिए पर्याप्त आधार है कि पुरोहित के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं.’अदालत ने साध्वी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का तथा जरूरत के अनुसार एनआईए अदालत में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया.

2008 में हुआ था मालेगांव में विस्फोट, 8 की गई थी जान

गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव शहर में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी और करीब 100 लोग जख्मी हो गए थे. साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में हैं. कैंसर से पीडित साध्वी का मध्य प्रदेश के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है जबकि पुरोहित महाराष्ट्र के तलोजा जेल में बंद हैं.इस मामले में जांच की जिम्मेदारी एटीएस से एनआईए को दी गयी थी. एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट देते हुए उच्च न्यायालय में कहा था कि साध्वी को जमानत पर रिहा करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है.

एजेंसी ने हालांकि पुरोहित की जमानत याचिका का विरोध किया था.अदालत ने कहा कि हमारी राय में, अगर एटीएस और एनआईए दोनों की रिपोर्टों पर एक साथ गौर किया जाए तो जहां तक साध्वी का सवाल है, यह नहीं कहा जा सकता कि यह भरोसा करने के लिए पर्याप्त आधार हैं कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं. न्यायधीशों ने कहा कि अगर एक बार ऐसा हो तो अपीलकर्ता को जमानत का लाभ नहीं रोका जा सकता, भले ही एटीएस द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं.

पुरोहित की याजिका खारिज

अदालत ने साध्वी की याचिका पर अपने 78 पृष्ठों के आदेश में कहा कि आरोपी एक महिला हैं जो 2008 से ही जेल में हैं और कैंसर से पीड़ित हैं. पीठ ने पुरोहित की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. पीठ ने कहा कि यह राज्य की एकता और अखंडता के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तरह है और वह भी बम विस्फोट जैसे हिंसक तरीके से, ताकि लोगों के मन में आतंक पैदा किया जा सके.

एनआईए द्वारा दाखिल रिपोर्ट (आरोपपत्र) का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि पुरोहित ने ‘हिन्दू राष्ट्र’के लिए अलग भगवा रंग के झंडे के साथ अलग ‘संविधान’तैयार किया. पीठ ने कहा कि उन्होंने हिन्दुओं पर मुस्लिमों द्वारा अत्याचार के लिए बदला लेने के बारे में भी चर्चा की.

 

 

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