अयोध्या मामले में हस्तक्षेप को लेकर नागरिक अधिकार समूह न्यायालय पहुंचा
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अयोध्या मामले में हस्तक्षेप को लेकर नागरिक अधिकार समूह न्यायालय पहुंचा

32 व्यक्तियों की ओर से दायर अर्जी में उच्चतम न्यायालय से यह कहते हुए मुद्दे पर विचार करने का आग्रह किया गया है कि यह केवल एक सम्पत्ति विवाद नहीं है बल्कि इसमें अन्य कई पहलू हैं जिसके ‘‘देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने’’ पर काफी दूरगामी प्रभाव होंगे’’

उच्चतम न्यायालय ने गत 11 अगस्त को कहा था कि वह लंबे समय से लंबित इस मालिकाना हक विवाद पर अंतिम सुनवायी पांच दिसम्बर से शुरू करेगा. (फाइल)

नई दिल्ली: अयोध्या विवाद में हस्तक्षेप की मांग को लेकर नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. 32 व्यक्तियों की ओर से दायर अर्जी में उच्चतम न्यायालय से यह कहते हुए मुद्दे पर विचार करने का आग्रह किया गया है कि यह केवल एक सम्पत्ति विवाद नहीं है बल्कि इसमें अन्य कई पहलू हैं जिसके ‘‘देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने’’ पर काफी दूरगामी प्रभाव होंगे.’’ उच्चतम न्यायालय ने गत 11 अगस्त को कहा था कि वह लंबे समय से लंबित इस मालिकाना हक विवाद पर अंतिम सुनवायी पांच दिसम्बर से शुरू करेगा.

अयोध्या मामले में हस्तक्षेप ना करे सुन्नी वक्फ बोर्ड : शिया वक्फ बोर्ड
इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड ने गुरुवार(30 नवंबर) को सुन्नी वक्फ बोर्ड से कहा कि उसे उनकी सम्पत्ति (बाबरी मामले) में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. सुन्नी वक्फ बोर्ड को काशी, मथुरा में स्थित मन्दिर-मस्जिद विवाद को सुलझाने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये.

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने एक बयान में कहा, 'सुन्नी वक्फ बोर्ड को काशी और मथुरा मंदिर मस्जिद विवाद में अपना पक्ष रखने का हक है लेकिन अयोध्या में उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नही है, क्योंकि यह मुद्दा शिया वक्फ बोर्ड से जुड़ा है.' रिजवी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को चाहिए कि वे शियाओं की सम्पत्ति पर अपना अधिकार छोड़कर काशी, मथुरा स्थित मन्दिर-मस्जिद विवाद को शान्तिपूर्वक हल करने की दिशा में सकारात्मक भूमिका निभाने की कोशिश करें.

उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड यह स्पष्ट कर देना चाहता है कि उनके द्वारा उठाया गया कदम राष्ट्रहित में है. शिया वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है. गौरतलब है कि शिया वक्फ बोर्ड ने लंबे समय से चल रहे बाबरी विवाद को समाप्त करने के लिये 18 नवंबर को उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसमें लखनऊ के हुसैनाबाद इलाके में मस्जिद और अयोध्या में मंदिर बनाने का प्रस्ताव दिया है.

(इनपुट - भाषा)

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