संजय सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग ने पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का एकतरफा और पक्षपातपूर्ण निर्णय लिया है.
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लखनऊ: आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता संजय सिह ने शनिवार (20 जनवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर 'लोकतंत्र की हत्या' का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव आयोग ने पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का एकतरफा और पक्षपातपूर्ण निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी इस 'अन्यायपूर्ण निर्णय' के खिलाफ अदालत जाएगी. राज्यसभा के लिए पार्टी की ओर से चुने गए सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "चुनाव आयोग का निर्णय पक्षपातपूर्ण है क्योंकि आप के 20 विधायकों को दिए गए नियुक्ति पत्र में यह खास तौर पर वर्णित था कि संसदीय सचिव का पद लाभ का पद नहीं है."
चुनाव आयोग भाजपा के चुनाव एजेंट के रूप में कार्य कर रहा
सिंह ने कहा, "2006 में, शीला दीक्षित की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने अपने 19 विधायकों को लाभ का पद दिया था. हरियाणा में चार संसदीय सचिव हैं, पंजाब में भी ऐसा पद है, हिमाचल प्रदेश में इस तरह के 11 पद हैं और झारखंड व छत्तीसगढ़ में भी ऐसी स्थिति है. उन्होंने विशेष तौर पर इस मामले में दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया था, लेकिन किसी भी विधायकों की सदस्यता रद्द नहीं की थी." उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग भाजपा के चुनाव एजेंट के रूप में कार्य कर रहा है."
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कांग्रेस पर साधा निशाना
सिंह के अनुसार, इस मामले में अगर किसी का भी इस्तीफा लिया जाता है तो, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का होना चाहिए, जिन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए संसदीय सचिव को नियुक्त किया गया था. उन्हें उप मुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया और सभी तरह की सुविधाएं दी गई. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा मांगने पर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी अदालत में इस मामले के विरोध में अपना पक्ष रखते हुए अन्य राज्यों का उदाहरण देगी.
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उल्लेखनीय है कि बीते 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों के कथित तौर पर लाभ का पद रखने को लेकर अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं. आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये राजौरी गार्डन के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.
जिन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना है उसमें आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा) शामिल हैं. गहलोत अब दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं.
इनके अलावा राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्रनगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं.
इन विधायकों ने अपने आवेदन में दावा किया है कि चुनाव आयोग के समक्ष मामले के गुण-दोष पर कोई सुनवाई नहीं हुई है और शिकायतकर्ता प्रशांत पटेल ने भी कोई साक्ष्य नहीं दिया है और न ही चुनाव आयोग के समक्ष याचिकाकर्ताओं को कोई अवसर दिया गया.
(इनपुट एजेंसी से भी)