गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने 26 नवंबर, 2013 को राजेश और नुपुर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
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नई दिल्ली : नोएडा के बहुचर्चित आरुषि और हेमराज हत्याकांड में सजायाफ्ता आरुषि के माता-पिता डॉ. राजेश और नुपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. गाजियाबाद स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने 26 नवंबर, 2013 को राजेश और नुपुर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इससे एक दिन पूर्व इनको दोषी ठहराया गया था. राजेश और नुपुर फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं. उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्तूबर को तय की थी.
LIVE: आरुषि-हेमराज हत्याकांड- राजेश-नूपुर तलवार बरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं माना 'दोषी'
आइये जानते हैं इस बहुचर्चित हत्याकांड और जुड़ी अदालती कार्यवाही का ब्योरा...
16 मई 2008 : 14 वर्षीय आरुषि तलवार नोएडा के जलवायु विहार स्थित अपने घर के बेडरूम में मृत मिली. उसका गला कटा हुआ था. हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर आया.
17 मई 2008 : हेमराज का शव तलवार दंपति के घर की छत पर मिला.
23 मई 2008 : आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरुषि और हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.
1 जून 2008 : मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली.
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13 जून 2008 : जांच के दौरान डॉ. राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. तलवार दंपति की दोस्त अनीता दुर्रानी के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. तीनों को दोहरे हत्याकांड के आरोपी बने.
12 जुलाई 2008 : राजेश तलवार को गाजियाबाद की डासना जेल से जमानत पर रिहा किया गया.
12 सितंबर 2008 : कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को निचली अदालत से जमानत मिल गई. सीबीआई मामले में 90 दिन तक आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाई.
10 सितंबर 2009 : आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दूसरी टीम बनाई गई.
29 दिसंबर 2010 : सीबीआई ने मामले में आरुषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर की.
25 जनवरी 2011 : सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ राजेश तलवार ने निचली अदालत में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर की.
9 फरवरी 2011 : निचली अदालत ने सीबीआई द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने आरुषि के माता-पिता राजेश और नुपुर तलवार को हत्या और साक्ष्य मिटाने का दोषी माना.
21 फरवरी 2011 : डॉ. राजेश और नुपुर तलवार ने ट्रायल कोर्ट के समन को रद्द करवाने के लिए हाइकोर्ट का रुख किया.
18 मार्च 2011 : हाईकोर्ट ने समन रद्द करने की तलवार के अनुरोध को खारिज कर दिया और उन पर कार्यवाही शुरू करने को कहा.
19 मार्च 2011 : तलवार दंपति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने उनके खिलाफ ट्राइल को स्टे कर दिया गया.
6 जनवरी 2012 : सुप्रीम कोर्ट ने तलवार की अर्ज़ी खारिज की और ट्रायल शुरू करने की इजाजत दी.
11 जून 2012 : गाजियाबाद में विशेष सीबीआई जज एसलाल के सामने ट्रायल शुरू हुआ.
10 अक्टूबर 2013 : मामले में अंतिम जिरह शुरू हुई, जिसके बाद 25 नवंबर को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने तलवार दंपति को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.
जनवरी 2014 : राजेश और नूपुर तलवार ने निचली अदालत के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी.
11 जनवरी 2017 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित किया.
1 अगस्त 2017 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार की अपील दुबारा सुनेंगे, क्योंकि सीबीआई के दावों में विरोधाभास हैं.
8 सितंबर 2017 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि हत्याकांड मामले में फैसला सुरक्षित किया.