चीन से युद्ध की आशंका के बीच रक्षा मंत्रालय ने मांगा 20,000 करोड़ अधिक बजट
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चीन से युद्ध की आशंका के बीच रक्षा मंत्रालय ने मांगा 20,000 करोड़ अधिक बजट

चीन से युद्ध की खबरों के बीच रक्षा मंत्रालय के केंद्र से मांगा बड़ा बजट (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः रक्षा मंत्रालय ने हथियारों व अन्य सैन्य सामग्री की खरीद के लिए 20,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की मांग की है, क्योंकि अधिग्रहण की गति बढ़ाने के कारण वह अपने बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पहले ही खत्म कर चुकी है. जानकार सूत्रों से यह जानकारी मिली. रक्षा मंत्रालय द्वारा अतिरिक्त आवंटन की मांग उस समय की गई है, जब चीन के साथ सिक्किम क्षेत्र में तकरार जारी है. सूत्रों ने हालांकि कहा कि हालिया घटनाक्रमों के साथ इस मांग का कोई लेना-देना नहीं है.

सूत्र ने बताया, "यह साल का ऐसा समय होता है, जब मंत्रालय आमतौर पर अधिक बजट चाहते हैं. हाल के घटनाक्रम के साथ इसका किसी भी रूप में कोई लेना-देना नहीं है." मंत्रालय ने लगभग 2.74 लाख करोड़ रुपये की बजटीय आवंटन के अलावा 20,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग की है. सूत्र ने बताया कि मंत्रालय पहले ही अपने बजट के करीब 50 फीसदी तक खर्च कर चुका है, क्योंकि खरीद की प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है. इसके अलावा, विभिन्न खरीद पर आयात शुल्क का भुगतान करना पड़ रहा है.

सूत्र ने कहा, "इसके अलावा, हाल ही में बलों को अधिक खरीद शक्तियां दी गई हैं, इसके लिए भी धन की जरूरत है." रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में संवेदनशील सुरक्षा खरीद का वित्तीय अधिकार तीनों सेनाओं के उपसेनाप्रमुख को सौंप दिया है. इससे पहले उपसेना प्रमुखों को 46 तरह के गोला बारूद तथा 10 तरह के हथियार प्लेटफार्म खरीदने के लिए 40,000 करोड़ रुपये तक का खर्च करने का अधिकार दिया गया था. 

गौरतलब है कि साल 2017 की शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने सेना के सामानों के आयात पर से कस्टम ड्यूटी को हटा दिया गया था. इससे पहले कस्टम ड्यूटी की वजह से सेना को अपनी खरीद पर काफी पैसा खर्च करना पड़ता था साथ ही इस फैसले को इसलिए भी लिया गया था, ताकि स्वदेशी सामानों और हथियारों का इस्तेमाल बढ़ सके. भारत चीन के बीच पिछले दो महीने से जारी तनातनी से सीमा पर ऐसे हालात बन गए कि किसी भी समय दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि कुछ दिन पहले ही CAG की रिपोर्ट में बताया था कि युद्ध शुरू होने की स्थिति में सेना के पास महज 10 दिन का ही पर्याप्त गोला-बारूद है. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया था भारतीय सेना के पास कुल 152 तरह के गोला-बारूद हैं जिनमें से केवल 31 का ही स्टॉक संतोषजनक है.

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि यदि भारतीय सीमा पर युद्ध की स्थिति बनती है तो भारतीय सेना के पास कम से कम इतना गोला-बारूद होना चाहिए, जिससे वह 20 दिनों के किसी सघन टकराव की स्थिति से निपट सकें.  इससे पहले सेना को 40 दिनों का सघन युद्ध लड़ने लायक गोलाबारूद अपने वॉर वेस्टेज रिजर्व (WWR) में रखना होता था, जिसे 1999 में घटा कर 20 दिन कर दिया गया था. ऐसे में कैग की यह रिपोर्ट गोलाबारूद की भारी किल्लत उजागर करती है.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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