क्या इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ऐसी जगह जाते जहां भारत विरोधी नारे लगते : अरुण जेटली
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क्या इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ऐसी जगह जाते जहां भारत विरोधी नारे लगते : अरुण जेटली

अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर के लोगों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए, अलगाववादियों के साथ नहीं. 

जेटली ने  प्रथम ‘अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान’ देते हुए कहा,‘मेरा मानना है कि यह हम सब के लिए अत्यंत आवश्यक है...कि इस लड़ाई में हमें कश्मीरी लोग अपनी ओर चाहिए.

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मौके पर कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा, 'क्या इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ऐसी किसी सभा में जाते जहां 'भारत के टुकड़े-टुकड़े' नारे लगाए जाते. नहीं, वे बिल्कुल ऐसा नहीं करते लेकिन अब व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के कारण  कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को ऐसा करने पर मजबूर है. ' इसके साथ ही अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर के लोगों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए, अलगाववादियों के साथ नहीं.

जेटली ने  प्रथम ‘अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान’ देते हुए कहा,‘मेरा मानना है कि यह हम सब के लिए अत्यंत आवश्यक है...कि इस लड़ाई में हमें कश्मीरी लोग अपनी ओर चाहिए. यह लड़ाई संप्रभुता के लिए, यह लड़ाई अलगाववादियों और आतंकवादियों के खिलाफ है और हल भी लोगों के पास है.’

जेटली ने कहा,‘इसलिए हमारा दृष्टिकोण इस तथ्य के साथ निर्देशित होना चाहिए कि वे लोग हमारी ओर हैं, अलगाववादियों के साथ नहीं.’ उन्होंने इसको लेकर खेद जताया कि ऐसे समय जब देश सीमापार से पैदा की जा रही समस्याओं से निपट रहा है, कुछ स्थानीय समूह उनके साथ हो गए हैं और सबसे अधिक प्रभावित कश्मीरी लोग स्वयं हो रहे हैं.

'क्षेत्रीय मुख्य धारा की पार्टियों से संवाद को तैयार'
उन्होंने कहा,‘हम स्थिति को कैसे सुलझायें? सरकारों ने कहा है कि हम सबसे तार्किक विकल्प के लिए तैयार हैं. हम लोगों से बातचीत करने को तैयार हैं, हम क्षेत्रीय मुख्य धारा की पार्टियों से संवाद करने और उन्हें उसमें शामिल करने को भी तैयार हैं.’ जेटली ने कहा कि मुख्यधारा की क्षेत्रीय पार्टियां जो श्रीनगर में एक भाषा और दिल्ली में दूसरी भाषा बोलती हैं, उन्हें स्थिति से सामना करने का साहस होना चाहिए.

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'अलगाववादियों के लिए एक वैकल्पिक संवाद की रूपरेखा बनाने की जरूरत'
उन्होंने कहा कि उन्हें अलगाववादियों के लिए एक वैकल्पिक संवाद की रूपरेखा बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा,‘दुर्भाग्य से वे उस जिम्मेदारी से दूर रहते हैं. इसलिए यह एक ऐसी लड़ाई है जिसमें भारत को जीतना है और मेरे दिमाग में इसको लेकर कोई संदेह नहीं कि हम अंत में इसमें सफल होंगे क्योंकि भारत की राजनीति से एक स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि अलगाववादी भारत और उसकी मुख्यधारा द्वारा कभी स्वीकार नहीं किये जाएंगे.’

उन्होंने कहा कि सरकार जो भी नीतिगत फैसला या रुख अपनाती है वह इस मापदंड से निर्देशित होने चाहिए कि ‘कश्मीर के लोगों को धीरे धीरे इस ओर लाया जाना है और उसकी सफलता ही हमारी असली परीक्षा होगी.’

(इनपुट - एजेंसी)

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