वजुभाई भारतीय जनता पार्टी के नेता रह चुके हैं. गुजरात सरकार में वह 1997 से 2012 तक कैबिनेट मंत्री तक जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. बीजेपी सरकार में उन्हें गुजरात का वित्त मंत्री भी बनाया गया था.
Trending Photos
नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है. रुझानों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर तो उभरी है, लेकिन अभी भी बहुमत से दूर है. ऐसे में सभी की नजरें अब राज्य के राज्यपाल पर जा टिकी हैं. स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में राज्यपाल की अहम भूमिका हो गई है. देखना दिलचस्प होगा कि वह सरकार बनाने का अवसर किसे देते हैं.
कर्नाटक की राजनीति में अब सभी की निगाहें जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) और कर्नाटक के राज्यपाल पर टिकी हुई हैं. त्रिशंकु की परिस्थिति में राज्यपाल की भूमिका अहम हो जाती है. हाल ही में गोवा और मणिपुर में इसकी बानगी देखने को मिली थी, जब सबसे बड़ी पार्टी रहते हुए भी कांग्रेस सत्ता से दूर रही थी और बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिला था.
अगर कर्नाटक की बात करें तो वहीं राज्यपाल की कुर्सी पर गुजरात के वजुभाई वाला हैं, जो 2012 से 2014 तक गुजरात विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं. केंद्र मोदी सरकार के बनने के बाद उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया था.
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने दिया इस्तीफा, कांग्रेस-जेडीएस में गठजोड़
गुजरात का राजकोट सीट 1984 में बीजेपी ने कांग्रेस से छीनी थी, जब वजुभाई वाला यहां से विधायक बने थे. तबसे लेकर अब तक बीजेपी इस सीट पर चुनाव कभी नहीं हारी है. राजकोट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. 1980 में आखिरी बार कांग्रेस यह सीट जीती थी. 2002 में उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए अपनी सीट छोड़ दी. बाद में उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में गुजरात का वित्त मंत्री बनाया गया था.
वजुभाई भारतीय जनता पार्टी के नेता रह चुके हैं. गुजरात सरकार में वह 1997 से 2012 तक कैबिनेट मंत्री तक जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. बीजेपी सरकार में उन्हें गुजरात का वित्त मंत्री भी बनाया गया था. वजुभाई राजकोट पश्चिमी से विधायक चुने जाते थे.
रुझानों में जेडीएस तीसरे नंबर पर दिख रही है. हालात दिख रहे हैं कि बीजेपी हो चाहे कांग्रेस, दोनों में से किसी को भी सरकार बनाने के लिए जेडीएस की जरूरत पड़ सकती है. यानी यह पार्टी किंगमेकर की भूमिका में होगी.
कर्नाटक: JDS को समर्थन देने पहुंची कांग्रेस के नेताओं को राज्यपाल से मिलने की नहीं मिली इजाजत
रुझानों और नतीजों के मुताबिक बीजेपी के खाते में कुल 107 सीटें आती दिख रही है, जो बहुमत से पांच कम है. वहीं कांग्रेस के खाते में 74 और जेडीएस के खाते में 39 सीटें जाती दिख रही हैं. ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस और बीजेपी को दोनों को जेडीएस के समर्थन की जरूरत होगी. गौरतलब है कि कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा कर दी है, साथ ही यह भी कहा है कि सीएम जेडीएस का ही होगा.
नतीजे आने के बाद अगर जेडीएस से बात बनती है तो कांग्रेस पार्टी राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि राज्यपाल सरकार बनाने के लिए किसे बुलाते हैं. उधर, बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि सरकार बनाने के लिए सारे विकल्प खुले हुए हैं.