ब्रिटेन में बनेगा संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर का भव्य स्मारक
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ब्रिटेन में बनेगा संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर का भव्य स्मारक

संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर ब्रिटेन में पहले ऐसे भारतीय होंगे जिनके सम्मान में पूरे एक मकान को स्मारक को समर्पित किया जाएगा क्योंकि भारत ने उस बंगले के अधिग्रहण के लिए 31 लाख पाउंड का सौदा किया है जहां अंबेडकर 1920 के दशक में बतौर छात्र रहे थे।

लंदन : संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर ब्रिटेन में पहले ऐसे भारतीय होंगे जिनके सम्मान में पूरे एक मकान को स्मारक को समर्पित किया जाएगा क्योंकि भारत ने उस बंगले के अधिग्रहण के लिए 31 लाख पाउंड का सौदा किया है जहां अंबेडकर 1920 के दशक में बतौर छात्र रहे थे।

महाराष्ट्र सरकार ने इस सप्ताह उत्तरी लंदन के 10 किंग हेनरीज रोड स्थित मकान के अधिग्रहण की औपचारिकताएं पूरी कीं। अंबेडकर 1921-22 में छात्र रहते हुए इसी मकान में रहे थे। अगले दो-तीन सप्ताह में जब राज्य सरकार को इस मकान पर कब्जा मिल जाएगा तब तीन मंजिला मकान को एक स्मारक का रूप दिया जाएगा। इस स्मारक को आगंतुकों के लिए साल के आखिर अथवा अगले साल की शुरूआत में खोला जा सकता है।

महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय एवं विशेष सहयोग मंत्री राजकुमार बडोले ने कहा, ‘इस संपत्ति को 1991 तक इंग्लिश हेरीटेज के तौर पर जाना जाता था और इस पर ‘डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर 1891-1956’ की पट्टिका लगी हुई थी।’ उन्होंने कहा, ‘इस संपत्ति का न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अंबेडकर के अनुयायियों और सभी चाहने वालों के लिए ऐतिहासिक महत्व है। हमारी योजना है कि इस संपत्ति की मरम्मत की जाएगी फिर इसे डॉ. अंबेडकर स्मारक के तौर पर विकसित किया जाए। महाराष्ट्र सरकार इसको लेकर भारतीय उच्चायोग के साथ मिलकर काम करेगी।’ 

अंबेडकर स्मारक से जुड़े काम को अंतिम रूप महाराष्ट्र सरकार और विदेश मंत्रालय के बीच विचार-विमर्श के जरिए दिया जाएगा। इस स्मारक से जुड़ी एक योजना के मुताबिक इस मकान को स्मारक-सह-संग्रहालय बनाया जाए और एक मंजिल पर उन छात्रों के रहने की व्यवस्था की जाए जो भारत से पढ़ाई के लिए ब्रिटेन आते हैं।

यह मकान 2,050 वर्गफुट के क्षेत्रफल वाला है और पिछले साल इसे एक रियल स्टेट एजेंट के जरिए बेचने की योजना थी। इसके बाद ‘फेडरेशन ऑफ अंबेडकराइट्स एंड बुद्धिस्ट आर्गनाइजेशन’ ने भारत सरकार को पत्र लिखकर इसे खरीद कर स्मारक की शक्ल देने का आग्रह किया। इसी साल फरवरी में महाराष्ट्र सरकार ने इस संपत्ति को खरीदने का फैसला किया।

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