पुणे की एक अदालत ने हिंदू एकता अघाड़ी नेता मिलिंद एकबोटे को गुरुवार (15 मार्च) को 19 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
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पुणेः पुणे की एक अदालत ने हिंदू एकता अघाड़ी नेता मिलिंद एकबोटे को गुरुवार (15 मार्च) को 19 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है जो कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के मुख्य आरोपी हैं. पुलिस ने एकबोटे को बुधवार (14 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज किये जाने के बाद उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया था. मिलिंद एकबोटे को भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच शिवाजीनगर जिला अदालत में विशेष न्यायाधीश पी सी भागुरे के समक्ष पेश किया गया.
लोक अभियोजक उज्जवला पवार ने कोर्ट में दलील दी कि पुलिस को वह मोबाइल फोन बरामद करने के लिए एकबोटे की हिरासत चाहिए जिससे उन्होंने कुछ लोगों से सम्पर्क किया था और निर्देश दिये थे. पवार ने कहा, 'वह पुलिस से सहयोग नहीं कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि मोबाइल फोन गुम हो गया है. कॉल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) रिपोर्ट दिखाती है कि उस फोन का इस्तेमाल करते हुए संवाद हुआ था लेकिन वह फोन अपने पास होने से इनकार कर रहे हैं.'
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उन्होंने कोर्ट से यह भी कहा कि एकबोटे ने एक जनवरी को कार्यक्रम से कुछ दिन पहले कोरेगांव भीमा के नजदीक पेरने फाटा के पास स्थित सोनई होटल में एक बैठक आयोजित की थी जहां उन्होंने कुछ पर्चियां बांटी थीं और लोगों को निर्देश दिये थे. उन्होंने कहा, 'उस कम्प्युटर की हार्डडिस्क और प्रिंटर जिससे पर्चियां मुद्रित की गई थी और मोबाइल बरामद करने के लिए पुलिस हिरासत की जरूरत है और पुलिस को यह पता लगाने की जरूरत है कि वे कौन लोग थे जिन्हें एकबोटे ने फोन किया था और लगातार निर्देश दे रहे थे.'
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पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एकबोटे को गिरफ्तारी से संरक्षण बढ़ाते हुए पुणे ग्रामीण पुलिस से मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था और उन्हें एकबोटे से पूछताछ करने की इजाजत दी थी. अदालत के निर्देश के बाद एकबोटे पांच बार शिकरापुर पुलिस के समक्ष पूछताछ के लिए उपस्थित हुए थे. बुधवार को पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की और एकबोटे से 'हिरासत में पूछताछ' की मांग की और उनकी जमानत अर्जी का विरोध किया. कोर्ट ने उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग स्वीकार कर ली और उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी.
पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास गत एक जनवरी को कथित रूप से हिंसा भड़काने के मामले में एकबोटे और हिंदुत्व नेता सांभाजी भिड़े के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.