बिहार कांग्रेस में बगावत के आसार, JDU के पक्ष में बागी बदल सकते हैं पाला!
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बिहार कांग्रेस में बगावत के आसार, JDU के पक्ष में बागी बदल सकते हैं पाला!

राज्‍य में कांग्रेस के 27 विधायकों में से 14 पाला कर सत्‍तारूढ़ जदयू के पाले में जा सकते हैं. इन विधायकों ने अपना एक धड़ा बना लिया है. 

नीतीश कुमार ने हाल ही में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ नाता जोड़ा.(फाइल फोटो)

पटना: बिहार में नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद भी अभी सूबे की सियासत में शह-मात का खेल फिलहाल थमता नहीं दिख रहा है. ताजा घटनाक्रम में बिहार कांग्रेस में फूट के आसार दिख रहे हैं. इसके तहत राज्‍य में कांग्रेस के 27 विधायकों में से 14 पाला बदलकर सत्‍तारूढ़ जदयू के पाले में जा सकते हैं. इन विधायकों ने अपना एक धड़ा बना लिया है. हालांकि दलबदल से बचने के लिए इस धड़े को अभी भी चार विधायकों की दरकार है क्‍योंकि इस तरह के विभाजन के लिए कम से कम दो-तिहाई विधायकों का समर्थन चाहिए. 

  1. कांग्रेस के 14 विधायकों ने अलग धड़ा बनाया
  2. पार्टी में औपचारिक विभाजन के लिए 4 और MLA की दरकार
  3. नीतीश कुमार हाल में महागठबंधन से अलग हुए

अंग्रेजी अखबार द टाइम्‍स ऑफ इंडिया की इस रिपोर्ट के अनुसार मौके की नजाकत को भांपते हुए कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस चीफ अशोक चौधरी और कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को दिल्‍ली बुलाया गया. इस मीटिंग में कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने बदलते घटनाक्रम पर नाराजगी जाहिर करते हुए इन नेताओं से पार्टी में बगावत को थामने के लिए कहा. उल्‍लेखनीय है कि बिहार में कांग्रेस के 27 विधायक और छह एमएलसी हैं. इनमें से चार- अशोक चौधरी, मदन मोहन झा (दोनों ही एमएलसी), अब्‍दुल मस्‍तान और अवधेश कुमार सिंह पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे हैं. 

यह भी पढ़ें: बिहार कांग्रेस में टूट की आशंका, इस कारण नाराज हैं पार्टी के 7 विधायक

वजह: 
माना जा रहा है कि कई बागी विधायक महागठबंधन टूटने के बाद लालू प्रसाद यादव के नेतृत्‍व वाले राजद के साथ सहज महसूस नहीं कर रहे हैं. उसका एक बड़ा कारण यह है कि लालू प्रसाद के परिजनों के नाम भ्रष्‍टाचार के नए मामलों में आए हैं. ऐसे में कांग्रेस का राजद के साथ खड़े होते दिखना इन नेताओं को असहज कर रहा है. इसके अलावा जातिगत समीकरणों के लिहाज से भी 2015 में महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने से सबसे ज्‍यादा फायदा राजद को हुआ. उसके 80 विधायक चुनकर आए. ऐसे में कांग्रेस को समर्थन देने वाले सवर्ण जातियों के एक तबके में पार्टी के प्रति नाराजगी के सुर उभरे. वोटबैंक के लिहाज से कांग्रेस के कुछ विधायक उस दबाव समूह को नाराज नहीं करना चाहते. नीतीश कुमार जब तक इस महागठ‍बंधन का नेतृत्‍व कर रहे थे तब तक तो दबे सुर में नाराजगी जाहिर होती रही लेकिन अब उनके अलग होने के बाद पार्टी के ये नेता भी राजद से विलग नई राह चुनना चाहते हैं. 

फायदा 
यदि कांग्रेस में टूट होती है तो उसका सबसे बड़ा फायदा मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को होगा क्‍योंकि ये धड़ा जदयू में शामिल होगा. इससे संख्‍याबल के लिहाज से नीतीश कुमार और भी मजबूत होंगे और राजद एवं कांग्रेस वाली विपक्षी एकता को गहरा धक्‍का लगेगा.

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