अंधकार में बिहार-झारखण्ड के लाखों बच्चों का भविष्य, CBSE ने साधी चुप्पी
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अंधकार में बिहार-झारखण्ड के लाखों बच्चों का भविष्य, CBSE ने साधी चुप्पी

सीबीएसई में पढ़नेवाले बिहार झारखण्ड के लाखों बच्चों का भविष्य अंधकार में पर गया है.

सीबीएसई से स्कूलों को नहीं मिली है मान्यता. (प्रतीकात्मक फोटो)

आशुतोष चंद्रा/पटनाः सीबीएसई में पढ़नेवाले बिहार-झारखण्ड के लाखों बच्चों का भविष्य अंधकार में पर गया है. दरअसल स्कूलों की मान्यता को लेकर सैकडों स्कूलों का आवेदन 2017 से सीबीएसई के पास पेंडिंग है, लेकिन सीबीएसई की ओर से दिलचस्पी नहीं लेने के कारण बोर्ड का एक्जाम देने से लाखों बच्चे वंचित रह जाएंगे. मामले पर प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन ने जहां आंदोलन की चेतावनी दे दी है वहीं सीबीएसई ने चुप्पी साध रखी है.

बिहार झारखण्ड के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चे इसबार बोर्ड के एक्जाम से वंचित रह जाएंगे. सिर्फ दसवीं बोर्ड के बच्चों को ही परेशानी नहीं होगी बल्कि 12वीं बोर्ड के बच्चे भी परीक्षा से वंचित रह जाएंगे. इसके पीछे की वजह है सीबीएसई की ओर से मान्यता को लेकर अपनाया जानेवाला ढुलमुल रवैया. 

मान्यता के इंतजार में बैठे स्कूल संचालक भी मानते हैं कि सीबीएसई अगर ज्यादा से ज्यादा स्कूलों को मान्यता नहीं देता है तो बच्चों की परेशानियां बढ़ सकती है.

दरअसल सीबीएसई के पास साल 2017 से बिहार झारखंड के सैंकडों स्कूलों की मान्यता का मामला लटका पडा है. जिसमें एफलियेशन, अपग्रेडेशन और एक्सटेंशन का मामला है शामिल है. इसमें अकेले पटना के 25 स्कूल  हैं. जहां 20 हजार से ज्यादा बच्चे पढ रहे हैं. 

स्कूलों की मान्यता नहीं मिल पाने के कारण 10वीं और 12 वीं बोर्ड के लिए स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका है. जबकि रजिस्ट्रेशन की तारीख खत्म हो चुकी है. प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन का दावा है कि जिन स्कूलों ने मान्यता के लिए आवेदन दिया है वो मान्यता के हर पैमाने पर खडे उतरते हैं.

स्कूलों को मान्यता नहीं मिल पाने के कारण ही एक जिले में पढाई करनेवाले बच्चे को दूसरे जिले में जाकर ऐसे स्कूल से अपना फार्म भडना पडता है जिसे बोर्ड ने मान्यता दे रखी है. ऐसे हालात में न केवल बच्चे परेशान होते हैं बल्कि परिजनों की भी मुश्किलें बढ जाती है. 

सीबीएसई के अधिकारियों से इस मामले में बात करने की कोशिश भी की गई, लेकिन अधिकारी बात करने को तैयार नहीं हुए. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर लाखों बच्चों का भविष्य कैसे बचेगा.