बिहार के इस लाल ने अमेरिका में छात्र संघ चुनाव में लहराया अपना परचम
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बिहार के इस लाल ने अमेरिका में छात्र संघ चुनाव में लहराया अपना परचम

बिहार के मोकामा के रहने वाले कुमार सानू ने अपना दम अमेरिका में दिखाया है.

कुमार सानू बिहार के मोकामा का रहने वाला है. (फाइल फोटो)

मोकामाः बिहार के मोकामा जिले के एक लाल ने अपना परचम अमेरिका में लहराया है. जिससे पूरा बिहार ही नहीं बल्कि पूरा देश में खुशी है. दरअसल, अमेरिका के मेडपोर्ड स्थित फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में हुए छात्र संघ चुनाव में जीत हासिल की है. विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित इस कॉलेज में अपने कौशल का लोहा मनवाया है.

बिहार के मोकामा के रहने वाले कुमार सानू ने अपना दम अमेरिका में दिखाया है. अमेरिका के मेडफोर्ड स्थित फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में हुए छात्र संघ चुनाव में जीत दर्ज की है. काउंसिल मेंबर्स के छह पदों के लिए संपन्न चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे. इसमें सानू ने चुनाव जीत कर काउंसिल मेंबर पद पर कब्जा जमा लिया. 

अमेरिका के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में 50 विभिन्न देशों के छात्र नामांकित हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ में कार्यरत और विभिन्न देशों के दूतावास और विदेश सेवा में कार्यरत अधिकारी भी वहां मास्टर की डिग्री लेने जाते हैं. कुमार सानू भी वहां मास्टर इन लॉ का छात्र है.

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सानू ने बताया कि कुल 6 उम्मीदवार चुने गए हैं. 12 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, जिसमें छह को जीत मिली है. इस चुनाव में 50 देशों के छात्र वोट करते हैं. अमेरिकी सेना के भी कई वरिष्ठ अधिकारी वहां से कानून की पढ़ाई कर रहे हैं. कई विभिन्न देशों के नौकरशाह भी वहां पढ़ाई करते हैं. 

कुमार सानू ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय विदेश नीति और कूटनीति का यह एक उत्कृष्ट संस्थान है. और कई पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रध्यक्ष, नोबेल पुरस्कार विजेता तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करने वाले कई लोग वहां के छात्र रहे हैं. 

आपको बतादें कि मोकामा के सकरवार टोला के मूल निवासी कुमार सानू सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हैं. उनके पिता कुंदन कुमार की मोकामा में श्याम मार्केट नाम की कमर्शियल काम्प्लेक्स है. कुमार सानू ने अपनी प्रतिभा के बल पर यह मुकाम हासिल किया है. स्कॉलरशिप पर पढ़ाई कर रहे सानू को पढ़ाई के खर्च के लिए किसी से मदद नहीं लेनी पड़ी और उनकी प्रतिभा के बल पर उनको छात्रवृति मिली है. 

अमेरिका के छात्र संघ का चुनाव लड़ रहे चुनाव में एक रूपया भी खर्च नहीं करना पड़ा. बल्कि वहां चुनाव लड़ने वाले छात्रों को संस्कृति सभ्यता तथा अपने तर्कों के सहारे वोट जुटाने होते हैं. जितने भी छात्र वहां पढ़ाई कर रहे हैं, उनमें आधे से अधिक छात्र तो उच्च पदों पर कार्यरत नौकरशाह रहते हैं, जो वहां कानून, कूटनीति, विदेशनीति की पढ़ाई के लिए आते हैं.