मंजू-मधु के सरेंडर से एक बार फिर उजागर हुई बिहार पुलिस की नाकामी!
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मंजू-मधु के सरेंडर से एक बार फिर उजागर हुई बिहार पुलिस की नाकामी!

हाई प्रोफाईल मामलों में बिहार पुलिस ने मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. आरोपी ने या तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है या फिर पुलिस के सामने. 

दो-दो सरेंडर के बाद एडीजी एसके सिंघल पुलिस की पीठ थपथपा रहे हैं.

आशुतोष चंद्रा, पटना : दो बड़े सरेंडर के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय अपनी पीठ थपथपा रहा है. पूर्व मंत्री मंजू वर्मा और मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की राजदार मधु के सरेंडर को एडीजी हेड क्वार्टर पुलिस की दबिश के कारण किया गया सरेंडर बता रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि हाल के दिनों में किसी भी हाई प्रोफाईल मामलों में बिहार पुलिस ने मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. आरोपी ने या तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है या फिर पुलिस के सामने. बिहार पुलिस की नाकामियों की फेहरिस्त काफी लंबी है.

सबसे पहले बात करते हैं बिहार में हुए टॉपर घोटाले की. साल 2016 में इंटर की परीक्षा में हुए टॉपर घोटाले के मुख्य आरोपी बच्चा राय को भी पुलिस गिरफ्तार करने में असफल रही थी. घोटाले के मुख्य आरोपी बच्चा राय ने पुलिस के सामने सरेंडर किया था. वो भी सरेंडर करने से पहले मीडिया को सूचना दी गई थी. बच्चा राय ने मीडिया के सामने अपनी पूरी बात रखी थी.

दूसरा मामला नाबालिग लड़की से रेप का आरोपी आरजेडी विधायक राजबल्लभ यादव से जुड़ा हुआ है. राजबल्लभ यादव ने भी सरेंडर किया था. नाबालिग लड़की से रेप के मामले में आरोपी आरजेडी एमएलए फरार चल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जमानत याचिक खारिज होने पर उन्होंने सरेंडर किया था. आरजेडी विधायक ने अरेस्ट वारंट जारी होने के एक महीने बाद सरेंडर किया था.

उसी तरह केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शास्वत पर भी भागलपुर में दंगा भड़काने का आरोप लगा. पुलिस अर्जित शास्वत को लगातार खोजती रही, लेकिन उन्होंने तब सरेंडर किया जब कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. अप्रैल 2018 में उन्होंने पटना में सरेंडर किया था. 

मुजफ्फरपुर में अपनी बोलेरो गाड़े से नौ स्कूली बच्चों को रौंदनेवाले बीजेपी नेता मनोज बैठा को भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. मनोज बैठा ने सीतामढी पुलिस के सामने सरेंडर किया था.

जेडीयू एमएलसी मनोरमा देवी ने भी कोर्ट में सरेंडर किया था. मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव ने गया रोड रेज में एक लड़के को गोली मार दी थी. फरार रॉकी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने जब मनोरमा देवी के घर छापेमारी की तो उनके घर से शराब की बोतलें बरामद हुईं थीं. शराबबंदी कानून के मामले में फरार मनोरमा देवी ने बाद में कोर्ट में सरेंडर किया था.

सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी मृतक मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और उनकी बहु प्रिया कुमार भी घोटाले के बाद से अंडरग्राउंड हैं. 15 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है अब तक दोनों सीबीआई की गिरफ्त से बाहर हैं.

पूरे मामले पर जब जी मीडिया ने एडीजी हेडक्वार्टर एसके सिंघल से जानकारी ली तो उनका साफ तौर पर कहना था कि आज की तारीख में पहचान छुपाना बेहद आसान हो चुका है. यही वजह है कि अपराधी अपनी पहचान आसानी से छुपा लेते हैं. हलांकि पुलिस की दवाब के कारण बाद में उन्हें सरेंडर भी करना पड़ता है.