झारखंड में भाजपा की जीत तय करेंगे अर्जुन मुंडा?
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झारखंड में भाजपा की जीत तय करेंगे अर्जुन मुंडा?

झारखंड में भाजपा की जीत तय करेंगे अर्जुन मुंडा?

झारखंड में भाजपा के बड़े चेहरों में से एक अर्जुन मुंडा राज्य का तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मुंडा इस बार भी मुख्यमंत्री पद की रेस में भले ही खुद को सबसे आगे देखते हों लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान को देखें तो संकेत मिलता है कि राज्य में बहुमत मिलने की दशा में भाजपा मुख्यमंत्री पद पर किसी दूसरे को आसीन कर सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान शाह कह चुके हैं कि पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी।

साल 2000 में बिहार से अलग होकर बना यह राज्य अब तक नौ मुख्यमंत्री देख चुका है। मुंडा निवर्तमान विधानसभा में विपक्ष का नेता रह चुके हैं। मुंडा को उम्मीद है कि इस बार के विधानसभा में लोग भाजपा को निर्णायक बहुमत देंगे। लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन को देखते हुए मुंडा को विश्वास है कि इस बार के चुनाव में जनता भाजपा को पूर्ण बहुमत देगी। गौरतलब है कि भाजपा ने लोकसभा की 14 सीटों में से 12 पर जीत दर्ज की है। मुंडा को यकीं है कि विधानसभा चुनाव में भी 'मोदी लहर' काम करेगी।

हालांकि, भाजपा जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी ने चुनाव से पहले ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के साथ गठबंधन किया है।   

जमशेदपुर में पांच जनवरी 1968 को जन्मे मुंडा ने रांची विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की है। आदिवासी नेता के रूप में पहचान रखने वाले मुंडा ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1980 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के शिबू सोरेने की नेतृ्त्व में शुरू की। लेकिन मुंडा ज्यादा समय तक जेएमएम में नहीं रह सके और आगे चलकर भाजपा में शामिल हो गए। मुंडा 1995 से खरसावन सीट से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। मुंडा को पहली बार 2001 में बाबूलाल मरांडी की सरकार में शामिल किया गया और दो साल बाद 2003 में मुंडा को राज्य का मुख्यमंत्री बनने को सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुंडा को यह मौका उस वक्त मिला जब भाजपा के कुछ मंत्रियों ने विपक्ष का दामन थाम लिया।  

पिछले कुछ वर्षों में मुंडा राज्य के आदिवासी नेता के रूप में उभरे हैं। राज्य की जनसंख्या में आदिवासी समुदाय की आबादी एक तिहाई है। चुनाव में आदिवासी समुदाय बड़ी भूमिका निभाता है और हर पार्टी इस समुदाय के वोटों को लुभाने की कोशिश करती है। आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मुंडा को विश्वास है कि भाजपा को यदि सरकार बनाने का मौका मिलता है तो जातिगत समीकरण को देखते हुए मुख्यमंत्री पद की दौड़ में वह स्वभाविक रूप से सबसे आगे होंगे।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव विकास एवं सुशासन के नारे पर लड़ा था। विधानसभा चुनाव में भी पार्टी अपने इसी नारे पर दांव लगा रही है। पार्टी को विश्वास है कि मतदाता इस बार भी जातिगत समीकरण से ऊपर उठकर उसके विकास के नारे पर विश्वास जताएंगे।