जद (यू) का शरद गुट फिर पहुंचा चुनाव आयोग, पार्टी सिंबल पर ठोका दावा
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जद (यू) का शरद गुट फिर पहुंचा चुनाव आयोग, पार्टी सिंबल पर ठोका दावा

जद (यू) में दरार तब आई, जब जुलाई में नीतीश कुमार ने जद (यू)-कांग्रेस-राजद महागठबंधन से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.

शरद गुट ने आयोग से अपने दावे के समर्थन में दस्तावेज जमा करने के लिए एक महीने का समय मांगा है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: शरद यादव की अगुवाई वाला जनता दल (युनाइटेड) पहला आवेदन दरकिनार कर दिए जाने के बाद गुरुवार (14 सितंबर) को दोबारा निर्वाचन आयोग पहुंचा और पार्टी के चुनाव चिह्न् पर दावा किया. शरद गुट ने आयोग से अपने दावे के समर्थन में दस्तावेज जमा करने के लिए एक महीने का समय मांगा है.

जद (यू) के महासचिव अरुण श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा, "हमने आज फिर से निर्वाचन आयोग में पार्टी के चुनाव चिह्न् के लिए आवेदन किया है. हमारा पहले का आवेदन अस्वीकार नहीं किया गया था, बल्कि उसे दरकिनार कर दिया गया था, क्योंकि उस पर शरद यादव के हस्ताक्षर नहीं थे." उन्होंने कहा कि पार्टी ने आयोग से उनके गुट में आने की इच्छा रखने वाले पार्टी सदस्यों की संख्या को साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने खातिर एक माह का समय मांगा है.

श्रीवास्तव ने कहा, "बिहार के अलावा सभी राज्यों की जद (यू) इकाइयां शरद यादव के साथ हैं. कानूनी तौर पर पार्टी शरद यादव की है." बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालांकि अपनी अगुवाई वाले जद (यू) को वास्तविक जद (यू) होने का दावा किया है.

जद (यू) में दरार तब आई, जब जुलाई में नीतीश कुमार ने जद (यू)-कांग्रेस-राजद महागठबंधन से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली, जबकि विधानसभा चुनाव में जनादेश महागठबंधन को मिला था. नीतीश के पैंतरा बदलने के कारण बिहार में 80 विधायकों वाली सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल सत्ता से बाहर है और 53 विधायकों वाली भाजपा को अचानक सत्ता मिल गई है.