राजद अध्यक्ष ने कहा कि अब युवाओं का जमाना है और टिकट से लेकर सभी जगहों पर युवकों को आगे लाना होगा और यह लोग पूरी तरह पार्टी के लिए उत्साहित होकर काम करेंगे.
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पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने अपने पुत्र और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद के नेतृत्व को लेकर हो रही तमाम अटकलबाजियों पर विराम लगा दिया. लालू प्रसाद ने यहां शुक्रवार (10 नवंबर) को कहा कि वर्ष 2020 में संभावित बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व तेजस्वी यादव करेंगे. उन्होंने कहा कि तेजस्वी मुख्यमंत्री के उम्मीदवार भी होंगे. पटना में उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा, "तेजस्वी के बारे में मैं इसलिए नहीं कह रहा हूं कि वह मेरे बेटे हैं. तेजस्वी हम लोगों से काफी आगे हैं और चर्चित हैं. बिहार के लोग तेजस्वी की भाषा और उनकी राजनीतिक क्षमता से खुश हैं."
राजद अध्यक्ष ने कहा कि अब युवाओं का जमाना है और टिकट से लेकर सभी जगहों पर युवकों को आगे लाना होगा और यह लोग पूरी तरह पार्टी के लिए उत्साहित होकर काम करेंगे. हालांकि, लालू ने यह भी कहा कि मिल बैठकर सभी लोग इस मामले को तय करेंगे. अभी चुनाव में बहुत देरी है.
इसके पूर्व राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने भी तेजस्वी को क्षमतावान और उर्जावान बताते हुए कहा था कि वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. इसके बाद राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने साफ शब्दों में तेजस्वी की दावेदारी का अनुमोदन नहीं करते हुए कहा था कि जो भी होगा, वह लालू प्रसाद की सलाह से होगा और वे ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार का फैसला करेंगे.
वहीं दूसरी ओर नोटंबदी के एक साल पूरे होने के बाद भी केन्द्र के इस फैसले तथा जीएसटी को लेकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का केन्द्र पर हमला लगातार जारी है. राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार (10 नवंबर) ट्वीट किया, ‘नोटबंदी और जीएसटी तब कामयाब मानी जाती जब इसका डंका जनता बजाती, भाजपा नहीं. इन्हें खुद की पीठ थपथपानी नहीं पड़ती, जनता खुद इनकी पीठ थपथपाती.’
नोटबंदी और GST तब कामयाब मानी जाती जब इसका डंका जनता बजाती भाजपा नहीं। इन्हें ख़ुद की पीठ थपथपानी नहीं पड़ती जनता ख़ुद इनकी पीठ थपथपाती।
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 10, 2017
गौरतलब है कि पिछले वर्ष आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1,000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी. जीएसटी इसी वर्ष लागू हुआ है. एक ओर जहां केन्द्र नोटबंदी और जीएसटी को सफल बता रही है वहीं विपक्षी दल सरकार के इन दोनों कदमों को बड़ी विफलता बता रहे हैं.
(इनपुट एजेंसी से भी)