मायावती के इस्तीफे को लालू ने बताया 'सही कदम', कहा- वो चाहें तो हम बिहार से उन्हें राज्यसभा भेजेंगे
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मायावती के इस्तीफे को लालू ने बताया 'सही कदम', कहा- वो चाहें तो हम बिहार से उन्हें राज्यसभा भेजेंगे

लालू प्रसाद ने कहा, 'दलितों की आवाज दबाई जा रही है, भाजपा अहंकार में डूबी हुई है.'

लालू (दाएं) ने कहा कि राजद मायावती (बाएं) के साथ है. (फाइल फोटो)

पटना/नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती के राज्यसभा से इस्तीफा को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सही और स्वभाविक बताते हुए कहा कि भाजपा दलित विरोधी पार्टी है, राजद मायावती के साथ है. उन्होंने कहा, 'मायावती चाहेंगी तो हम बिहार से उन्हें दोबारा राज्यसभा भेजेंगे.'

लालू ने कहा कि आज का दिन इतिहास के पन्नों में काले दिन के तौर पर अं​कित किया जाएगा क्योंकि आज उच्च सदन में गरीबों और दलितों की स्थापित नेता मायवती को गरीबों की बात उठाने नहीं दिया गया. उन्होंने भाजपा सदस्यों पर मायावती के सदन में बोलने के दौरान ​रुकवाट डालने का आरोप लगाते हुए उनकी घोर निंदा करते हुए मायावती के इस्तीफा देने के बयान को साहसिक कदम बताया और कहा कि वे उनसे अपील करते हैं वे देश में घूमे और भाजपा के ‘अहंकार’ को तोड़े तथा हम उनके साथ होंगे.

पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए लालू प्रसाद ने कहा, "दलितों की आवाज दबाई जा रही है, भाजपा अहंकार में डूबी हुई है. मायावती के साथ राज्यसभा में जो व्यवहार किया गया, उससे साफ है कि भाजपा दलित विरोधी पार्टी है."

लालू ने आगे कहा, "अगर मायावती चाहें, तो हम बिहार से उन्हें फिर राज्यसभा भेजेंगे." 

मायावती से राज्यसभा से दिया इस्तीफा

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार (18 जुलाई) को राज्यसभा में सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा के मुद्दे पर आसन द्वारा उनको पूरी बात कहने की अनुमति नहीं दिये जाने के कुछ ही घंटों बाद उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. मायावती ने मंगलवार शाम राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से मिलकर उन्हें अपना त्यागपत्र सौंप दिया.

उन्होंने त्यागपत्र देने के बाद कहा, ‘मैंने त्यागपत्र सौंपने के लिए सभापति से मुलाकात की. यह अच्छी बात नहीं है कि मेरे लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में बोलने नहीं दिया गया.. जब मैं बोलने के लिए खड़ी हुई तो सरकार ने मेरी बात पूरी नहीं होने दी. उनके सदस्य खड़े हो गये और हस्तक्षेप करने लगे. यह अच्छी बात नहीं है.’ 

राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि मायावती का इस्तीफा स्वीकार करने का निर्णय सभापति करेंगे. प्रारूप के अनुसार त्यागपत्र संक्षिप्त होना चाहिए और इसमें कारणों का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.

इससे पहले राज्यसभा में मायावती ने जब बोलना शुरू किया तो उन्हें उपसभापति पी जे कुरियन ने नियमों के तहत बोलने को कहा. इससे अप्रसन्न बसपा प्रमुख ने कहा, ‘मैं आज राज्यसभा से इस्तीफा दे दूंगी.’ मायावती का राज्यसभा में वर्तमान कार्यकाल अगले वर्ष अप्रैल में समाप्त होगा.

मीडिया में वितरित उनके इस्तीफे में मायावती ने इस बात पर अफसोस जताया कि उन्हें दलितों के मुद्दे पर उच्च सदन में बोलने नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, ‘जैसे ही मैंने अपनी बात सदन के समक्ष रखनी शुरू की, सत्ता पक्ष की ओर से उनके संसद सदस्यों के साथ मंत्रीगण भी खड़े हो गये तथा अवरोध उत्पन्न करने लगे.’

मायावती ने अपने त्यागपत्र में कहा, ‘माननीय सभापतिजी मुझे बड़े दुख के साथ इस्तीफा देने का यह फैसला लेना पड़ रहा है कि देश में सर्व समाज में खासकर जिन गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों व मुस्लिमों एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के हित व कल्याण के लिए मैंने अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की है और यदि मुझे इनके हित व कल्याण की बात सत्ता पक्ष के लोग अर्थात भाजपा व इनके राजग के लोग नहीं रखने देंगे तो मुझे ऐसी स्थिति में इस सदन में रहने का बिल्कुल औचित्य नहीं रहा है.’ 

उन्होंने इसी पत्र में कहा, ‘. मैं यह भी बताना चाहती हूं कि मैंने वर्ष 2003 में भी उत्तर प्रदेश में बसपा व भाजपा की मिली जुली सरकार में, अपनी पार्टी की विचारधारा एवं सिद्धान्तों में भाजपा का दखल होते देख लगभग 15 माह के भीतर ही अपने मुख्यमंत्री पद से और संयुक्त सरकार से इस्तीफा दे दिया था.’ उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में मायावती का वर्तमान कार्यकाल तीन अप्रैल 2012 से शुरू हुआ था.