भोजपुरी, राजस्थानी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अमित शाह से मिले सांसद
Advertisement

भोजपुरी, राजस्थानी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अमित शाह से मिले सांसद

भोजपुरी और राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की पुरजोर मांग करते हुए पूर्वांचल क्षेत्र और राजस्थान के कुछ सांसदों के एक शिष्टमंडल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और इस विषय पर त्वरित पहल किये जाने की जरूरत बतायी।

भोजपुरी, राजस्थानी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अमित शाह से मिले सांसद

नई दिल्ली : भोजपुरी और राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की पुरजोर मांग करते हुए पूर्वांचल क्षेत्र और राजस्थान के कुछ सांसदों के एक शिष्टमंडल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और इस विषय पर त्वरित पहल किये जाने की जरूरत बतायी।

शिष्टमंडल में शामिल भाजपा संसद जगदम्बिका पाल ने कहा कि दो दिन पहले पूर्वांचल क्षेत्र और राजस्थान के कुछ सांसदों के शिष्टमंडल ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था जिसमें उनसे भोजपुरी, राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की मांग की गई है।

शिष्टमंडल में शामिल सांसदों में पाल के अलावा अर्जुन राम मेघवाल, गजेन्द्र सिंह, नीलम सोनकर, शरद त्रिपाठी आदि शामिल थे। पाल ने कहा कि शाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस विषय पर उनकी भावना से वह सरकार को अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि 38 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने की मांग लंबित है, इसमें भोजपुरी और राजस्थानी का आधार काफी व्यापक है। इसे ध्यान दिये जाने की जरूरत है।

कुछ समय पहले भाजपा के मुख्य सचेतक अर्जुन राम मेघवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष इस विषय को उठाया था। सांसद और भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने भी इस विषय को गृह मंत्री के समक्ष उठाया था। सीताकांत महापात्र समिति की रिपोर्ट पेश किये जाने के 10 वर्ष गुजरने और संसद में बार-बार मांग किये जाने एवं सरकारों के आश्वासनों के बावजूद भोजपुरी और राजस्थानी भाषाओं को अब तब अपेक्षित दर्जा नहीं मिलने का विषय को कई बार संसद एवं अन्य मंचों से उठाया जा चुका है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने उम्मीद जतायी है कि भोजपुरी और राजस्थानी भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक जल्द आयेगा।

तिवारी ने कहा कि भोजपुरी और राजस्थानी दोनों ऐसी स्थानीय भाषाएं हैं जिनकी व्यापकता और विस्तार को देखते हुए इन्हें संविधान की आठवीं अनुसूचित में शामिल करने पर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस विषय को मैंने पुरजोर तरीके से उठाया है। गृह मंत्री के समक्ष भी इसे उठा चुका हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि इन दोनों भाषाओं को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक जल्द आ जायेगा।’ राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा देने पर जोर देते हुए राजस्थान सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि 2003 में राजस्थान विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक संकल्प पारित किया था। राजस्थानी भाषा का समृद्ध शब्दकोष है जिसमें 2.5 लाख शब्द है। इसे साहित्य अकादमी से मान्यता मिली है और दुनिया के कई देशों में काफी लोकप्रिय है। ऐसे में इसे संवैधानिक दर्जा दिये जाने की जरूरत है।

भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के बारे में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय में भी संसद में आश्वासन दिया गया था। एक आरटीआई के तहत प्राप्त जानकरी के अनुसार, ‘यह मामला अभी सरकार के पास लंबित है और सरकार समिति की सिफारिशों पर विचार कर रही है।’ नेपाल, मॉरीशस, श्रीलंका, फिजी, थाईलैंड, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो समेत भारत के पूर्वांचल, झारखंड, दिल्ली सहित कई अन्य क्षेत्रों में चार करोड़ से अधिक लोग भोजपुरी बोलते हैं।