मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई
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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मालिक ब्रजेश ठाकुर को झटका देते हुए आयकर विभाग को निर्देश दिया था कि वह ब्रजेश ठाकुर और उसके NGO के खिलाफ जांच करे.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा.जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मालिक ब्रजेश ठाकुर को झटका देते हुए आयकर विभाग को निर्देश दिया था कि वह ब्रजेश ठाकुर और उसके NGO के खिलाफ जांच करे, यह पता लगाए कि बिहार सरकार द्वारा पिछले 10 सालों में दिए 4.5 करोड़ के फंड का उन्होंने क्या किया.

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा था कि वो ब्रजेश ठाकुर को बचाने में बिहार सामाजिक कल्याण विभाग के रोल की जांच करे.कोर्ट में पेश सीबीआई की रिपोर्ट में बताया गया था कि रात में पड़ोसियों ने बच्चियों की आवाज सुनी थी, लेकिन ब्रजेश ठाकुर के भय और दबदबे के चलते कोई उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत न जुटा सका.अब और बच्चियों ने हिम्मत कर शिकायत दर्ज कराई है, सेवा सेल्टर होम से आठ बच्चियों को अज्ञात जगह पर शिफ्ट किया गया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से ये भी कहा था कि वो एनजीओ के दस्तावेज को कब्जे में लेकर जांच करे कि आखिर इन बच्चियों को शिफ्ट क्यों किया गया.चार हफ्ते में सीबीआई को रिपोर्ट करे.सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के विचारधीन मामलों में मीडिया रिपोर्टिंग पर गाइडलाइन बनाने और मीडिया ट्रायल को लेकर प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया, NBA, NBSA और एडिटर्स गिल्ड को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में पक्ष रखने को कहा था.अटॉनी जनरल ने कोर्ट को बताया था कि IB मिनिस्ट्री ने यौन शोषण के मामलों में रिपोर्टिंग के लिए गाइड लाइन बनाई है और उल्लंघन करने पर मीडिया संस्थानों पर जुर्माना और प्रसारण बाधित होने जैसी कार्यवाही की जा सकती है.लेकिन जानकारी के अभाव और टीआरपी के लालच के चलते इस तरह की रिपोर्टिंग हो रही है. 

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग पर बैन वाले पटना हाई कोर्ट के आदेश पर तो रोक लगाई थी पर निर्देश दिया था कि मीडिया पूरी जिम्मेदारी या संजीदगी से खबर को रिपोर्ट करे, किसी भी तरह से पीड़ित की या उनके घर वालों की पहचान सार्वजनिक न हो.पीड़ित के चेहरे को ब्लर करके, ढककर या किसी रूप में भी उसका इंटरव्यू न दिखाया जाए.सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ किया था कि ये आदेश सिर्फ इस मामले में नही, बल्कि रेप के हर मामले की रिपोर्टिंग के लिए होगा और सिर्फ नाबालिग पीड़ित के लिए नहीं, बल्कि बालिग के ब्लर चेहरे या इंटरव्यू को नही चला सकते.