बिहार के स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है और प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी महशूस की जा सकती है.
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पटनाः बिहार के स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है और प्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी महशूस की जा सकती है. विभिन्न परीक्षाओं की कॉपी जांचने में शिक्षकों की व्यस्तता के चलते इस बार स्कूल का सत्र देर से शुरू होगा. स्कूल में गणित, विज्ञान और उर्दू के शिक्षकों की संख्या कम नजर आएगी. वहीं, हाल ऐसा ही हो सकता है कि अंग्रेजी के शिक्षक जीव विज्ञान का विषय पढ़ाते दिख सकते हैं. सबसे अधिक खराब हाल उतक्रमित इंटर विद्यालयों का होगा, जहां शिक्षकों की कमी से स्कूल चलाना काफी मुश्किल हो गया है. शिक्षकों की कमी के बीज बिहार में करीब 7500 सरकारी हाई स्कूलों और +2 में इस माह से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने जा रहा है. इस लिहाज से उतक्रमित इंटर विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने गेस्ट टीचर रखने का निर्देश दिया है.
पटना के एक सेकेन्ड्री स्कूल में इंटर तक की पढ़ाई होती है. यहां आलम यह है कि यहां मैथ्स के शिक्षक को फिजिक्स का विषय पढ़ाना पड़ रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि उनके स्कूल में कभी भी फिजिक्स के टीचर की पोस्टिंग नहीं हुई. मैथ्स के टीचर भी आते जाते रहते हैं. पहले जो टीचर थे उनकी नौकरी झारखंड में पूर्ण वेतनमान में हो गया तो वह छोड़कर चले गए.
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दरअसल, स्कूल में शिक्षकों की कमी का मामला 'समान काम के लिए समान वेतन' पर फंसा है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. और राज्य सरकार ने शिक्षकों के वेतन में 30 फीसदी बढ़ाने की क्षमता बतायी है. इसलिए शिक्षकों की कमी सभी स्तर के स्कूल में हो जा रही है.
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा का भी मानना है कि शिक्षकों का मामला सुप्रीम कोर्ट में फंसे होने कारण शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है. और जब कोर्ट का फैसला आ जाएगा तो हम स्थिति को संतुलित कर लेंगे. और हम बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति भी करेंगे.
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बिहार सरकार ने इस बार शिक्षा के लिए बजट में 33 हजार करोड़ आवंटित किए हैं. जिसमें से करीब 22 हजार करोड़ शिक्षकों के वेतन और पेंशन पर खत्म हो जाएंगे. इस लिहाज नए शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बिहार सरकार की मजबूरी दिखती है. लेकिन प्रदेश सरकार की मजबूरी को बिहार के भविष्य कब तक ढोते रहेंगे.