RSS भाजपा के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट’ की तरह है: नीतीश कुमार
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RSS भाजपा के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट’ की तरह है: नीतीश कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत को आरक्षण नीति की समीक्षा का वकालत करने पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके विचारों को ‘खतरनाक’ बताते हुए कहा कि संघ भाजपा के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट’ की तरह है।

RSS भाजपा के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट’ की तरह है: नीतीश कुमार

पटना/मुंबई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत को आरक्षण नीति की समीक्षा का वकालत करने पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके विचारों को ‘खतरनाक’ बताते हुए कहा कि संघ भाजपा के लिए ‘सुप्रीम कोर्ट’ की तरह है।

जदयू नेता ने ऐसे समय में भाजपा पर हमला किया है जब केन्द्र में सत्तारूढ़ राजग के घटक दल शिवसेना ने भागवत के आह्वान का स्वागत किया और भाजपा की यह कह कर आलोचना की है कि वह अपने वैचारिक गुरु के विचारों को खारिज कर रही है । शिवसेना का कहना है कि इसका कारण बिहार विधानसभा चुनाव का गणित है और भाजपा को बिहार में ‘चुनावी विफलता’ की आशंका लगती दिखाई दे रही है ।

भाजपा और संघ पर हमला बोलते हुए नीतीश ने आरोप लगाया कि दोनों आरक्षण के खिलाफ रहे हैं और संघ आरक्षण की समीक्षा के लिए संविधान से परे एक इकाई स्थापित कराना चाहता है ।

संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’ और ‘पांचजन्य’ में प्रकाशित भागवत के साक्षात्कार के अंश पढ़ते हुए नीतीश ने कहा, ‘स्पष्ट है कि उन्हें (मोहन भागवत को) लगता है कि आरक्षण की मौजूदा नीति सही नहीं है और वे कोई अन्य प्रणाली चाहते हैं ।’ उन्होंने पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘संविधान में कोई भी संशोधन संसद में किया जा सकता है । वे (भागवत) संविधान से परे एक संस्था चाहते हैं जो इस बात पर विचार करेगी कि किसको आरक्षण मिलना चाहिए और कितने लंबे समय तक मिलना चाहिए ।’ नीतीश ने कहा, वे चाहते हैं कि ‘‘यह संविधान या संसद में नहीं बल्कि एक विशिष्ट समिति के हाथों में हो । यह बहुत खतरनाक सोच है । इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता ।

नीतीश ने आरक्षण पर भाजपा की स्थिति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी जो भी कहे लेकिन वह संघ के विचारों के विपरीत नहीं जा सकती । उन्होंने कहा, ‘भाजपा की केंद्र में सरकार है और उन्होंने बार बार दावा किया है कि उन्हें स्वयंसेवक होने पर गर्व है ।’ उन्होंने कहा, ‘संघ की राय अंतिम होती है । भाजपा कुछ भी कहती रहे, उसका कोई अर्थ नहीं है । जिस तरह उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ फैसला करती है, वह अंतिम होता है और उसके बाद कुछ नहीं होता, ठीक उसी तरह संघ में होता है । अगर संघ प्रमुख कुछ कहते हैं तो भाजपा के पास कहने के लिए कुछ नहीं होता ।’

नीतीश ने कहा, ‘भाजपा संघ का राजनीतिक संगठन है और इस सरकार में स्वयंसेवक तथा प्रचारक शामिल हैं । भागवत ने जो कहा है कि वह अंतिम है और इसमें कोई दूसरी सोच नहीं है ।’ उधर शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में आज छपे संपादकीय में कहा गया, ‘अपने को पीड़ितों-शोषितों का हितैषी कहने वाले राजनीतिक दलों ने भागवत की टिप्पणियों पर जोरदार प्रहार किया है । भागवत पर हमला करते हुए उनकी एक आंख बिहार चुनावों पर है । यहां तक कि भाजपा ने आनन-फानन में संवाददाता सम्मेलन बुलाया और भागवत की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया । ऐसा प्रतीत होता है कि इसके पीछे भी बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीति होगी ’’ शिवसेना ने कहा, ‘अब संघ के प्रति भाजपा के रवैये को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं ।’ शिवसेना ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने भी काल और परिस्थितियों के अनुसार दस साल बाद आरक्षण नीति पर पुनर्विचार करने की बात कही थी । भागवत ने केवल अंबेडकर के विचारों का समर्थन किया है।

संपादकीय में कहा गया, ‘भाजपा ने राजनीतिक कारणों से भागवत के विचारों से दूरी बनाई है । लेकिन हमारा शिवसेना कोई लेना-देना नहीं है । भागवत ने केवल वह कहा जिसे लोग महसूस करते हैं और हम उनके रूख का स्वागत करते हैं।’