शिवपाल ने कहा कि बिहार के महागठबंधन में अगर सपा को वाजिब भागीदारी दी जाती और मुलायम को उचित सम्मान दिया गया होता तो हालात अलग ही होते.
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आजमगढ़: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने शुक्रवार (28 जुलाई) को कहा कि अगर बिहार में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में महागठबंधन बनता तो उसका ऐसा हश्र नहीं होता. शिवपाल ने बेलनाडीह गांव में एक निजी कार्यक्रम में शिरकत से इतर संवाददाताओं से बातचीत में बिहार में जदयू और राजद का महागठबंधन टूटने के सवाल पर कहा कि अगर नेताजी (मुलायम) के नेतृत्व में महागठबन्धन बनता तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती.
उन्होंने कहा कि बिहार के महागठबंधन में अगर सपा को वाजिब भागीदारी दी जाती और मुलायम को उचित सम्मान दिया गया होता तो हालात अलग ही होते. पूर्व मंत्री ने कहा कि अगर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी नेताजी को सम्मान देते तो विधानसभा चुनाव में सपा की करारी हार नहीं होती.
उन्होंने कहा कि वह पूरे प्रदेश का भ्रमण कर रहे हैं. अब भी समय है अगर समाजवादी एकजुट नहीं हुए तो नेताजी के नेतृत्व में करीब दो माह बाद एक नया मोर्चा बनेगा. सपा संस्थापक मुलायम को राज्यपाल बनाये जाने की तैयारियों सम्बन्धी अटकलों पर शिवपाल ने कहा कि नेताजी ऐसे किसी प्रस्ताव को स्वीकार नही करेंगे.
अखिलेश चाहें तो सब ठीक हो सकता है : शिवपाल
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता शिवपाल यादव ने शुक्रवार (28 जुलाई) को आजमगढ़ में कहा कि अब सबकुछ अखिलेश के हाथ में है, वह चाहें तो सबकुछ ठीक हो सकता है. उन्होंने कहा कि अखिलेश नेताजी का नेतृत्व स्वीकार करें और पार्टी व प्रदेश को बचाएं. आजमगढ़ के छतवारा-शिवकुटी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवपाल ने कहा, "इस समय पार्टी के युवाओं में जबरदस्त निराशा है और यह निराशा तभी ठीक होगी, जब नेताजी को फिर से पार्टी की बागडोर मिलेगी. शिवपाल इन दिनों प्रदेशव्यापी जनसंपर्क पर निकले हुए हैं. आजमगढ़ में उनका शुक्रवार को दूसरा दिन है. वह लागातार समाजवादी विचारधारा से जुड़े लोगों से मिलकर उन्हें एकजुट कर रहे हैं."
प्रदेश के वर्तमान हालात पर चर्चा करते हुए शिवपाल ने कहा, "कानून व्यवस्था में अभी सरकार को बहुत सुधार करने की जरूरत है. गरीब, किसान व युवा सब परेशान हैं. नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी से व्यापारी वर्ग में जबरदस्त निराशा का माहौल व्याप्त है." जिला सहकारी बैंकों की हालत पर शिवपाल ने कहा, "इन बैंकों की हालत खराब है. नोटबंदी के समय यदि जिला सहकारी बैंकों को पुरानी करेंसी जमा कराने की सुविधा सरकार द्वारा दी गई होती तो इन बैंकों को इतनी तकलीफ न उठानी पड़ती."