सृजन घोटाले में आरोपी की मौत, परिवार का आरोप, ढंग से नहीं हुआ इलाज, कई राज खोल सकते थे
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सृजन घोटाले में आरोपी की मौत, परिवार का आरोप, ढंग से नहीं हुआ इलाज, कई राज खोल सकते थे

पुलिस के अनुसार, कल्याण विभाग के कर्मचारी महेश मंडल की बीती रात भागलपुर मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मौत हो गई. महेश को पिछले रविवार को गिरफ्तार किया गया था. 

महेश को पिछले रविवार को गिरफ्तार किया गया था.

भागलपुर : बिहार में नीतीश कुमार सरकार की किरकिरी बने  सृजन घोटाले में एक आरोपी की मौत हो गई है. पुलिस के अनुसार, कल्याण विभाग के कर्मचारी महेश मंडल की बीती रात भागलपुर मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में मौत हो गई. महेश को पिछले रविवार को गिरफ्तार किया गया था. बताया जा रहा है कि महेश मंडल की किडनी खराब थी. महेश मंडल का इलाज मायागंज अस्पताल में चल रहा था. महेश को हर तीन दिन बाद डायलेसिस करवाना पड़ता था, इसके अलावा उसे कैंसर भी था. पुलिस ने घोटाले के आरोप में मंडल सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. माना जा रहा है कि महेश मंडल इस घोटाले की जांच की अहम कड़ी थे. उनके पास कई अहम जानकारियां थींं जिससे इस घोटाले की तह तक जाया जा सकता था. इसीलिए मंडल के परिजनों ने मौत पर सवाल उठाए हैं. उनका आरोप है कि महेश का इलाज सही ढंग से नहीं किया गया, जिसके चलते उनकी मौत हुई. उनका ये भी कहना है कि महेश जिंदा होते तो घोटाले से संबंधित कई और राज खोल सकते थे.

  1. कल्याण विभाग के कर्मचारी महेश मंडल की अस्पताल में मौत
  2. महेश को हर तीन दिन बाद डायलेसिस करवाना पड़ता था
  3. 1996 में महिलाओं को काम देने के मकसद से शुरु हुआ था सृजन

क्‍या है सृजन घोटाला 
नीतीश सरकार सृजन घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी चुकी है. भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड में सृजन नाम का एनजीओ है. इसे 1996 में महिलाओं को काम देने के मकसद से शुरु किया गया था. ये एनजीओ मनोरमा देवी ने बनाया था. तीन अगस्त को 10 करोड़ के एक सरकारी चेक के बाउंस होने के बाद इस एनडीओ में घोटाला होने का मामला सामने आया. छानबीन में पता चला चला कि जिलाधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर से बैंक से सरकारी पैसा निकाल कर एनजीओ के खाते में डाला गया. मामला सामने आते ही पुलिस ने एसआईटी का गठन करके इस मामले से जुड़े लोगों के घर और सृजन एनजीओ के ठिकानों पर छापेमारी की थी. मामले में अभी तक सात एफआईआर दर्ज हुई हैं, जिसके आधार पर 10 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है.

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2009 में शुरू हुआ हेराफेरी का मामला
2009 से पैसे की हेराफेरी का मामला शुरू हुआ था. इसमें मनोरमा देवी का नाम सामने आ रहा है, जिनकी इसी साल फरवरी में मौत हो चुकी है. एनजीओ की मौजूदा सचिव मनोरमा की बहु प्रिया कुमार हैं जो फरार हैं. मामले के राजनैतिक कनेक्शन भी खंगाले जा रहे हैं. आरोप है कि सरकारी पैसे को निकाल कर उसे रियल इस्टेट में लगाया गया. साथ ही सरकारी पैसे को अवैध तरीके से निकाल कर लोगों को कर्ज पर दिया गया. सरकारी बैंक खाते से एनजीओ के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर की करोड़ों की राशि विभिन्न राज्यों और शहरों में भेजे जाने की बात सामने आ रही है. आरजेडी ने इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को लपेटने की तैयारी कर ली है.