बीजेपी पहुंचा रही है संसद की कार्यवाही में बाधा: येचुरी
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बीजेपी पहुंचा रही है संसद की कार्यवाही में बाधा: येचुरी

संसद में जारी गतिरोध समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी ने शनिवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पर संसद की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने का आरोप मढ़ा  माकपा ने ये आरोप भी लगाया कि सरकार जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रही है।

नई दिल्ली : संसद में जारी गतिरोध समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से पहले भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी ने शनिवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार पर संसद की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने का आरोप मढ़ा  माकपा ने ये आरोप भी लगाया कि सरकार जवाबदेही से बचने का प्रयास कर रही है।

माकपा केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री क्रमश: वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग पर अडिग है। उसका कहना है कि तीनों के खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए ऐसा आवश्यक है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि विपक्ष सही कहता है कि जांच का विकल्प संसदीय चर्चा नहीं हो सकती। आरोप गंभीर हैं और उनकी उच्च स्तर पर जांच की आवश्यकता है।

येचुरी ने कहा कि जब तक जांच चलती है, जैसा किसी भी सरकारी कर्मचारी के लिए नियम है, आरोपी पद से हटता है ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। भाजपा सरकार से यही मांग की जा रही है। पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के आगामी अंक में एक लेख में येचुरी ने कहा कि भाजपा सरकार जवाबदेही से बच रही है। उधर सरकार का कहना है कि कोई भी पद से नहीं हटेगा। सरकार ने गतिरोध दूर करने के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी है। सरकार का विपक्ष पर आरोप है कि वह महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में बाधा बन रहा है। भाजपा पर छल करने का आरोप लगाते हुए येचुरी ने कई ऐसे उदाहरण दिये, जब भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए ए राजा, दयानिधि मारन, शशि थरूर, पवन कुमार बंसल, अश्वनी कुमार और नटवर सिंह जैसे संप्रग सरकार के कई मंत्रियों के इस्तीफे की मांग पर संसद की कार्यवाही बाधित की थी। इन सभी मंत्रियों को पद छोड़ना पड़ा था। येचुरी ने कहा कि और पीछे देखें तो पता लगेगा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 1995 में कहा था कि हम केवल चर्चा के लिए चर्चा नहीं चाहते। उस समय तत्कालीन संचार मंत्री सुखराम के इस्तीफे की मांग हो रही थी।

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