25 जून को 'काला दिवस' मनाएगी बीजेपी, 1975 में इंदिरा गांधी ने लगाई थी इमरजेंसी
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25 जून को 'काला दिवस' मनाएगी बीजेपी, 1975 में इंदिरा गांधी ने लगाई थी इमरजेंसी

आपातकाल की घोषणा करते हुए इंदिरा गांधी ने कहा, "जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील क़दम उठाए हैं, तभी से मेरे ख़िलाफ़ गहरी साजिश रची जा रही थी."

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावों में धांधली करने का दोषी ठहराया था (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : हर साल 25 जून को देश के आपातकाल के लिए याद किया जाता है. 1975 में इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस दिन को ब्लैक डे यानी काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणी की है. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस दिन देशभर में काला दिवस मनाया जाएगा. कई केंद्रीय मंत्री देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित काला दिवस में शिरकत करेंगे.

'काला दिवास' के दौरान बीजेपी के मंत्री, नेता और कार्यकर्ता लोगों को आपातकाल के बारे में बताएंगे कि किस तरह इमरजेंसी के दौरान लोगों पर अत्याचार किए गए. लोकतंत्र के चारों स्तंभ चाहे वह न्यायपालिका हो या फिर मीडिया सभी का दमन किया गया था. इमरजेंसी के मुद्दे पर बीजेपी हमेशा से ही कांग्रेस को घेरती आ रही है. आपातकाल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ी घटना है. इमरजेंसी में चुनाव स्थगित हो गए थे और सभी नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था.

 

 

21 महीने का आपातकाल
बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई थी. यह आपात काल 21 मार्च, 1977 तक चला था यानी 21 महीने भारत के लोगों ने इमरजेंसी झेली थी. संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की गई थी. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था. आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई. इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया. इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया.

जयप्रकाश नारायण ने इसे 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बजाय, प्रधानमंत्री के सचिवालय के भीतर ही केंद्र सरकार की शक्ति को केंद्रित किया गया. आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा क़ानून (मीसा) के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ़्तारी की गई, इनमें जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फ़र्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे.

1971 का चुनाव बनी वजह
आपातकाल की वजह इलाहावबाद हाई कोर्ट का एक फैसला बताया जाता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में इंदिरा गांधी को चुनाव में धांधली करने का दोषी पाया गया और उन पर छह वर्षों तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजनारायण को पराजित किया था. लेकिन चुनाव के चार साल बाद राजनारायण ने चुनावी नतीजों को कोर्ट में चुनौती दी थी. 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया और उनके मुकाबले राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया था. लेकिन इंदिरा गांधी ने इस फ़ैसले को मानने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई.

आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा, "जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील क़दम उठाए हैं, तभी से मेरे ख़िलाफ़ गहरी साजिश रची जा रही थी."

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