फूलपुर: केशव के किले में सेंध, SP आगे-BJP पीछे, हारने पर डिप्‍टी CM के कद पर पड़ेगा असर
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फूलपुर: केशव के किले में सेंध, SP आगे-BJP पीछे, हारने पर डिप्‍टी CM के कद पर पड़ेगा असर

यहां के 18 लाख वोटरों में से 17 प्रतिशत मतदाता पटेल(कुर्मी) समुदाय से हैं. यह इस लिहाज से फूलपुर का सबसे अहम जातीय समुदाय है.

2014 में पहली बार बीजेपी प्रत्‍याशी के रूप में केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से विजयी हुए थे.(फाइल फोटो)

फूलपुर उपचुनावों में बीजेपी शुरुआती दौर में पिछड़ती दिख रही है. सपा प्रत्‍याशी करीब 1300 वोटों से आगे हैं. बीजेपी के लिए यह सीट इसलिए अहमियत रखती है क्‍योंकि 1952 के बाद पहली बार 2014 में पार्टी ने यह सीट जीती थी. बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य ने डिप्‍टी सीएम बनने के बाद इस सीट से इस्‍तीफा दे दिया था. ऐसे में यदि बीजेपी यहां से हारती है तो केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिष्‍ठा पर असर पड़ेगा.
 
पटेलों का दबदबा
यहां के 18 लाख वोटरों में से 17 प्रतिशत मतदाता पटेल(कुर्मी) समुदाय से हैं. यह इस लिहाज से फूलपुर का सबसे अहम जातीय समुदाय है. इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1984-99 तक यहा पटेल समुदाय का नेता ही चुनाव जीतता रहा है. इसी पृष्‍ठभूमि में संभवतया बीजेपी और सपा ने यहां से पटेल उम्‍मीदवार को इस बार मैदान में उतारा है. हालांकि फूलपुर एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और यहीं से भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चुनकर संसद पहुंचे थे.

  1. 2014 में पहली बार बीजेपी, फूलपुर से जीती
  2. केशव प्रसाद मौर्य के इस्‍तीफे के बाद खाली हुई सीट
  3. इस सीट पर पटेलों का दबदबा है

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बीजेपी ने कौशलेन्द्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस और सपा ने क्रमश: मनीष मिश्र एवं नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है. नौ निर्दलीय सहित कुल 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों में बाहुबली अतीक अहमद भी शामिल हैं. अतीक इसी सीट से 2004 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर विजयी हुए थे.

पटेलों के अलावा यहां पासी समुदाय (अनुसूचित जाति) के मतदाताओं की संख्या भी अधिक है जो बीजेपी के पारंपरिक वोटर रहे हैं.

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गोरखपुर
शुरुआती रुझान में बीजेपी प्रत्‍याशी उपेंद्र नाथ शुक्‍ला सबसे आगे चले रहे हैं. गोरखपुर के जातीय गणित को यदि देखा जाए तो यहां 19.5 लाख वोटरों में से 3.5 लाख वोटर निषाद समुदाय के हैं. संख्‍याबल के लिहाज से यह सबसे प्रभावी जाति समुदाय है जोकि कुल वोटरों का 18 प्रतिशत हिस्‍सा है. सपा-बसपा तालमेल के बाद यदि जातीय समीकरण देखा जाए तो निषाद समुदाय के अलावा यहां करीब साढ़े तीन लाख मुस्लिम, दो लाख दलित, दो लाख यादव और डेढ़ लाख पासवान मतदाता हैं. संभवतया इसीलिए सपा ने प्रवीण कुमार निषाद को अपना प्रत्‍याशी बनाया है.

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CM योगी की प्रतिष्‍ठा
गोरखपुर सीट से सीएम योगी आदित्‍यनाथ पांच बार लोकसभा सदस्‍य रहे. सीएम योगी से पहले उनके गुरू महंत अवैद्यनाथ ने तीन बार इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. इसके साथ ही इसमें संदेह नहीं कि कई मतदाताओं की गोरखनाथ मठ के महंत में आस्था है. इस लिहाज से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को हालांकि नकारा नहीं जा सकता. इसमें संदेह नहीं कि कई मतदाताओं की गोरखनाथ मठ के महंत में आस्था है. इस सीट से प्रतिष्‍ठा जुड़ी होने के कारण बदलते जातीय समीकरण को देखते हुए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने यहां 16 चुनावी रैलियां कीं, जबकि सपा नेता अखिलेश यादव ने केवल एक रैली की है. बीजेपी के प्रत्‍याशी उपेंद्र शुक्‍ला हैं और कांग्रेस ने डॉ सुरहिता चटर्जी करीम को प्रत्‍याशी बनाया है.

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