बिहार में हार को लेकर बीजेपी में घमासान; आडवाणी, जोशी समेत कई वरिष्‍ठों ने मोदी के खिलाफ असंतोष का बिगुल बजाया
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बिहार में हार को लेकर बीजेपी में घमासान; आडवाणी, जोशी समेत कई वरिष्‍ठों ने मोदी के खिलाफ असंतोष का बिगुल बजाया

बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद भाजपा में अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई और पार्टी के अंदर अब घमासान मच गया है। आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के साथ दो अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पीएम मोदी के नेतृत्व के खिलाफ असंतोष का बिगुल बजाते हुए कहा कि पिछले एक साल में पार्टी कमजोर हुई है और उसे कुछ मुट्ठीभर लोगों के अनुसार चलने पर मजबूर किया जा रहा है।

बिहार में हार को लेकर बीजेपी में घमासान; आडवाणी, जोशी समेत कई वरिष्‍ठों ने मोदी के खिलाफ असंतोष का बिगुल बजाया

नई दिल्‍ली : बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद भाजपा में सोमवार को अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई और इसको लेकर पार्टी के अंदर अब घमासान मच गया है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी के साथ दो अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के खिलाफ असंतोष का बिगुल बजाते हुए कहा कि पिछले एक साल में पार्टी कमजोर हुई है और उसे कुछ मुट्ठीभर लोगों के अनुसार चलने पर मजबूर किया जा रहा है। भाजपा में निर्विवाद नेता के तौर पर उभरने और मई में सरकार बनने के बाद मोदी को पहले बड़े असंतोष का सामना करना पड़ रहा है जिसमें शांता कुमार और यशवंत सिन्हा समेत दिग्गजों ने संक्षिप्त लेकिन कड़े शब्दों में एक बयान जारी कर बिहार की हार की संपूर्ण समीक्षा की मांग उठाई।

बीजेपी के वरिष्‍ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्‍हा और शांता कुमार ने कहा कि बिहार के परिणाम दिखाते हैं कि दिल्ली में हार के बाद भी कोई सबक नहीं सीखा गया। उस हार के लिए किसी को जिम्‍मेवार नहीं ठहराया गया। बिहार में हार को लेकर पार्टी के इन चार बड़े नेताओं ने साझा बयान में किसी का नाम लिए बिना नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। बयान के अनुसार, सबसे हालिया हार का मुख्य कारण पिछले एक साल में पार्टी का कमजोर होना है। वरिष्ठ भाजपा नेताओं के मुताबिक बिहार में हार की मुख्य वजह पिछले एक साल में पार्टी का प्रभाव घटना है। शांता कुमार और यशवंत सिन्हा समेत दिग्गज नेताओं ने हार की पूरी तरह समीक्षा की मांग की। नेताओं ने कहा कि समीक्षा में इस बात का भी अध्ययन होना चाहिए कि पार्टी किस तरह मुट्ठीभर लोगों के सामने झुकने को मजबूर हुई और इसका आम-सहमति वाला चरित्र किस तरह नष्ट हो गया। वरिष्‍ठ बीजेपी नेताओं ने कहा कि समीक्षा उन लोगों से नहीं करानी चाहिए जिन्होंने बिहार में प्रचार का प्रबंधन संभाला और उसके लिए जिम्मेदार रहे। किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराने के लिए यह कहा जा रहा है कि हार के लिए सभी जिम्मेदार हैं :नेता।
 
वरिष्‍ठ नेता यशवंत सिन्‍हा ने साझा बयान जारी किया और इसमें कहा गया कि बिहार में हार की जिम्‍मेवारी अब कौन लेगा। हार के लिए सभी को जिम्‍मेदार बताने का मतलब कोई जिम्‍मेदार नहीं है। हार की सामूहिक जिम्‍मेदारी देना, जिम्‍मेदारी से बचने सरीखा है। बयान में कहा गया कि हार की समीक्षा वो लोग न करें, जो हार के लिए जिम्‍मेदार हैं। जो लोग जीत का क्रेडिट लेते, वे हार की जिम्‍मेदारी लें। बयान के अनुसार, सबसे हालिया हार का मुख्य कारण पिछले एक साल में पार्टी का कमजोर होना है।

वरिष्ठ नेताओं के वक्तव्य के अनुसार, हार के कारणों की पूरी तरह समीक्षा की जानी चाहिए और इस बात का भी अध्ययन होना चाहिए कि पार्टी कुछ मुट्ठीभर लोगों के अनुसार चलने पर मजबूर क्यों हो रही है और उसका आम-सहमति वाला चरित्र नष्ट कैसे हो गया। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष जोशी के आवास से बयान जारी किये जाने से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरण शौरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक और पूर्व भाजपा नेता गोविंदाचार्य ने जोशी से बंद कमरे में गुफ्तगू की।

बयान के अनुसार बिहार के चुनाव परिणाम दिखाते हैं कि दिल्ली की हार से पार्टी ने कोई सबक नहीं सीखा है जिसमें आम आदमी पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों में से 67 पर जीत हासिल कर भाजपा को जबरदस्त पटखनी दी थी। वक्तव्य के मुताबिक, बिहार में हार के लिए सभी को इसलिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ताकि किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराना पड़े। यह दिखाता है कि पार्टी के जीतने की स्थिति में श्रेय लेने वाले लोग बिहार में निराशाजनक प्रदर्शन के लिए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। इस बयान को कल संसदीय बोर्ड में की गयी समीक्षा के संदर्भ में वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से किए गए पार्टी नेतृत्व के बचाव पर निशाने के तौर पर देखा जा रहा है। जेटली ने कहा था कि जहां तक जवाबदेही की बात है तो पार्टी सामूहिक रूप से जीतती है और सामूहिक रूप से हारती है।

जेटली से पूछा गया था कि क्या हार के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मांग की कि संपूर्ण समीक्षा ऐसे लोगों से नहीं करानी चाहिए जिन्होंने बिहार में चुनाव प्रचार का प्रबंधन किया और इसके लिए जिम्मेदार रहे। पिछले साल मोदी के प्रधानमंत्री बनने और शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद सबसे लंबे समय तक पार्टी के अध्यक्ष रह चुके आडवाणी और जोशी को ‘मार्गदर्शक मंडल’ का सदस्य बनाया गया। इस समूह में मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार से पार्टी के वरिष्ठ नेता सी पी ठाकुर ने भी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक पार्टी की सेवा करने के बाद उन्हें यह देख कर दुख हो रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं का रिश्ता मालिक और नौकर वाला हो गया है।

उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा वाले बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि इसकी हमें पूरे चुनाव में कीमत चुकानी पड़ी। ठाकुर ने कहा कि इस बयान से पहले भाजपा चुनाव जीत रही थी। लेकिन एक बयान दिया गया और लालू और नीतीश ने जिस तरह इसे मुद्दा बनाया, उससे पार्टी असहाय हो गई।

इससे पहले बिहार के बेगूसराय से दूसरी बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे भोला सिंह ने आज दिन में मोदी और शाह पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री लालू की गुगली के आगे मात खा गये और उन्होंने अपने ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को छोड़ दिया। वह लालू की भाषा बोलने लगे। उन्होंने अमर्यादित भाषा बोलना शुरू कर दिया वहीं नीतीश कुमार रणक्षेत्र में भी सभ्‍यता को नहीं भूले। भोला सिंह ने भी बाद में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बयान का स्वागत करते हुए कहा कि पार्टी को जन्म देने वाले लोग इसे मरने से बचाने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने कहा कि यह बयान दिवाली की पूर्वसंध्या पर आत्मा में ज्योति जगाने जैसा है।

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