ब्लू व्हेल गेम पीड़ित ने साझा किए खौफनाक अनुभव, कहा 'किसी भी हाल में इसे नहीं खेले'
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ब्लू व्हेल गेम पीड़ित ने साझा किए खौफनाक अनुभव, कहा 'किसी भी हाल में इसे नहीं खेले'

तमिलनाडु के कराईकल जिले में घातक ब्लूव्हेल गेम खेलते समय बचाए गए 22 वर्षीय युवक ने अपने भयावह अनुभव को बुधवार को साझा किया और युवाओं से किसी भी हाल में इस गेम को नहीं खेलने की अपील की. 

   ब्लू गेम पीड़ित ने युवाओं से अपील की कि वे कभी खेल को खेलने की कोशिश नहीं करें. (file - प्रतीकात्मक फोटो)

कराईकल : तमिलनाडु के कराईकल जिले में घातक ब्लूव्हेल गेम खेलते समय बचाए गए 22 वर्षीय युवक ने अपने भयावह अनुभव को बुधवार को साझा किया और युवाओं से किसी भी हाल में इस गेम को नहीं खेलने की अपील की. जिले के नेरावी निवासी अलेक्जेंडर को कल पुलिस ने बचा लिया. उसने आज संवाददाताओं से कहा कि उसने इस खेल से जुड़े खतरों के बारे में मीडिया में बात करने और अन्य लोगों को इसे नहीं खेलने की सलाह देने का विकल्प चुना.

अलेक्जेंडर ने बताए अपने अनुभव
अलेक्जेंडर ने खुलासा किया कि उसके सहकर्मियों ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया था जिस पर दो सप्ताह पहले उसे यह गेम खेलने के लिए लिंक मिला और जब वह छुट्टी पर नेरावी आया, तो उसने यह गेम खेलना शुरू किया. अलेक्जेंडर ने कहा कि यह गेम खेलना शुरू करने के बाद वह ड्यूटी पर चेन्नई वापस नहीं गया.

'आधी रात में पूरे करने होते हैं टास्क'
उसने कहा, 'इस ऐप या गेम को डाउनलोड नहीं किया जाना चाहिए...यह ऐसा लिंक है जिसे ब्लूव्हेल एडमिन यह गेम खेलने वाले लोगों के अनुसार बनाता है.' अलेक्जेंडर ने कहा, 'एडमिन जो टास्क देता है, उसे हर रोज देर रात दो बजे के बाद ही पूरा करना होता है...पहले कुछ दिन उसने निजी जानकारी और फोटो पोस्ट करने को कहा जो ब्लूव्हेल एडमिन ने एकत्र कर लीं.' 

कुछ दिनों बाद अलेक्जेंडर से आधी रात को पास के एक कब्रिस्तान में जाने को कहा गया और एक सेल्फी लेकर उसे ऑनलाइन पोस्ट करने को कहा गया. उसने कहा, 'मैं करीब आधी रात को अक्काराईवत्तम कब्रिस्तान गया, मैंने सेल्फी ली और उसे पोस्ट किया...मुझे रोजाना अकेले डरावनी फिल्में देखनी होती थीं, ताकि पीड़ितों का डर दूर किया जा सके.'

'दिमाग को बुरी तरह प्रभावित करने वाला खेल'
अलेक्जेंडर ने कहा, 'मैं घर में लोगों से बात करने से कतराने लगा और अपने ही कमरे में बंद रहने लगा...यह दिमाग को बुरी तरह प्रभावित करने वाला था...हालांकि मैं इस गेम को खेलना बंद करना चाहता था, मैं ऐसा नहीं कर सका.' 

अलेक्जेंडर के भाई अजीत का ध्यान उसके व्यवहार में आए बदलावों पर गया उसने पुलिस को इस बारे में सूचित किया. पुलिस अलेक्जेंडर के घर कल सुबह चार बजे पहुंची और अलेक्जेंडर को उस समय बचा लिया, जब वह अपनी बाजू पर चाकू से मछली की छवि बनाने वाला था.

'यह मौत का जाल है'
अलेक्जेंडर ने बताया कि वह काउंसलिंग मुहैया कराए जाने के बाद अब वह स्थिर है. उसने युवाओं से अपील की कि वे कभी खेल को खेलने की कोशिश नहीं करें. उन्होंने चेताया, 'यह वास्तव में मौत का जाल है... वह अत्यंत पीड़ादायक अनुभव है.' इस संवाददाता सम्मेलन में पुलिस अधीक्षक वी रेड्डी भी मौजूद थे.

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