BRICS घोषणापत्र से चीन-पाक संबंधों में तनाव आ सकता है : चीनी विशेषज्ञ
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BRICS घोषणापत्र से चीन-पाक संबंधों में तनाव आ सकता है : चीनी विशेषज्ञ

ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों के नाम शामिल (फोटोः ट्विटर पीएमओ इंडिया)

बीजिंगः चीन के एक विद्वान ने सोमवार को कहा कि ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तान आधारित कुछ आतंकी समूहों के नाम शामिल करने से इस्लामाबाद ‘झल्ला सकता है’ और इससे चीन के साथ उसके संबंधों में तनाव आ सकता है. ‘चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेपररी इंटरनेशनल रिलेशंस’ के निदेशक हू शिशेंग ने कहा कि चीनी राजनयिकों को आने वाले महीनों में पाकिस्तान के समक्ष बहुत सारे स्पष्टीकरण देने होंगे. उन्होंने कहा कि इस घोषणापत्र में हक्कानी नेटवर्क का नाम शामिल करना ‘मेरी समझ से परे’ है.

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  2. पाकिस्तान चीन के संबंधों में ब्रिक्स घोषणा पत्र का पड़ेगा असर
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हू ने पीटीआई से कहा, ‘‘इस समूह का प्रमुख ही वास्तव में अफगान तालिबान का प्रमुख है. इससे अफगान राजनीतिक सुलह की प्रक्रिया में चीन की भूमिका और जटिल होगी. हम यह भी कह सकते हैं कि भविष्य में हमारी कोई भूमिका नहीं होगी.’’  ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों के नाम शामिल किए जाने के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी समझ से परे है कि चीन इस पर कैसे सहमत हो गया है. मुझे नहीं लगता कि यह अच्छा विचार है.’’

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आपको बता दें कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने ब्रिक्स के संयुक्त घोषणापत्र में पहली बार इन आतंकी समूहों को शामिल करने का बचाव करते हुए कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों ने ‘इन संगठनों की हिंसक गतिविधियों को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं.’उन्होंने इन आतंकी समूहों को लेकर ब्रिक्स देशों के एक मजबूत संदर्भ को लेकर कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है और वे अफगानिस्तान मुद्दे को लेकर महत्वपूर्ण असर रखते हैं.’

हालांकि गेंग ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या ब्रिक्स (जिसका चीन एक अहमद सदस्य है) द्वारा जेईएम का नाम लेना समूह के प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध का विरोध करने के चीन के रूख के बदलने का प्रतीक है. गौर करने वाली यह है कि ऐसा पहली बार है जब चीन ब्रिक्स घोषणापत्र में पाकिस्तानी आतंकी समूहों को शामिल करने पर सहमत हुआ है.पिछले दो सालों में चीन ने यह कहते हुए अजहर को आतंकी घोषित करने की भारत की और फिर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की कोशिशों को बाधित करता रहा है कि मुद्दे पर आम सहमति नहीं है.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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