ब्रिक्स सम्‍मेलन: आतंकवाद पर पाकिस्‍तान को चित करने की तैयारी, आक्रामक अभियान जारी रखेगा भारत
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ब्रिक्स सम्‍मेलन: आतंकवाद पर पाकिस्‍तान को चित करने की तैयारी, आक्रामक अभियान जारी रखेगा भारत

गोवा में होने जा रहे ब्रिक्‍स शिखर सम्मलेन में भारत आतंकवाद का मुद्दा जोर-शोर से उठाएगा। इस बार ब्रिक्स शिखर बैठक का आयोजन वैश्विक आतंकवाद की समस्या और भारत में हाल में हुए पठानकोट, उरी जैसे हमलों के साये में हो रहा है। इस सम्मलेन में आतंकवाद सबसे बड़ा मुद्दा रहने की उम्‍मीद है।

ब्रिक्स सम्‍मेलन: आतंकवाद पर पाकिस्‍तान को चित करने की तैयारी, आक्रामक अभियान जारी रखेगा भारत

नई दिल्‍ली/गोवा : गोवा में होने जा रहे ब्रिक्‍स शिखर सम्मलेन में भारत आतंकवाद का मुद्दा जोर-शोर से उठाएगा। इस बार ब्रिक्स शिखर बैठक का आयोजन वैश्विक आतंकवाद की समस्या और भारत में हाल में हुए पठानकोट, उरी जैसे हमलों के साये में हो रहा है। इस सम्मलेन में आतंकवाद सबसे बड़ा मुद्दा रहने की उम्‍मीद है।

हाल में सीमापार से हुए आतंकी हमलों को लेकर भारत ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में काम कर रहा है और ब्रिक्‍स के मंच पर आतंकवाद को लेकर पाकिस्‍तान की पोल खोलकर उसे चित करने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, भारत ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में सीमा पार से जारी आतंकवाद का मुद्दा उठा सकता है। साथ ही उरी हमले में पाक के शामिल होने के सबूत पेश किए जा सकते हैं। बता दें कि चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन भी इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने आज गोवा पहुंच रहे हैं।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मेजबानी करने वाला भारत पाकिस्तान से पैदा हो रहे आतंकवाद के खतरे को लेकर इस दौरान भी उसके खिलाफ अपनी राजनयिक आक्रामकता जारी रख सकता है। पांच देशों वाले ब्रिक्स समूह का यह शिखर सम्मेलन यहां गोवा में रविवार को आयोजित होगा।

ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स सम्मेलन से पहले शनिवार को समुद्र किनारे स्थित परिसर में होने वाली द्विपक्षीय बैठकों की श्रृंखलाओं में भी पुतिन और शी के समक्ष यह मामला उठाएंगे। पाकिस्तान आधारित आतंकवादियों के उरी में हमला करने के कुछ ही सप्ताह बाद यह शिखर सम्मेलन हो रहा है। ऐसे में भारत इस सम्मेलन में अत्यंत जोरदार तरीके से अपनी मांग रखेगा। इस शिखर सम्मेलन के दौरान बिम्सटेक विस्तारित बैठक भी होगी ताकि आतंकवादियों को पनाहगाह एवं हथियार मुहैया करा रहे देशों के खिलाफ कार्रवाई समेत आतंकवाद से निपटने के प्रयासों को तेज किया जा सके।

भारत ने सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन के मामले पर यूएनजीए के साथ साथ जी-20 में भी मजबूती से अपनी बात रखी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत बिम्सटेक के साथ मिलकर एक विस्तारित शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है, जिसमें बांग्लादेश, भूटान, म्यांमा, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड हिस्सा लेंगे। उन्होंने अब तक के पहले ब्रिक्स-बिम्सटेक विस्तारित शिखर सम्मेलन के बारे में कहा कि लगभग दो तिहाई मानवता का प्रतिनिधित्व करते हुए, हम सहयोग की संभावनाओं का दोहन करने और इसके लाभ हासिल करने की उम्मीद करते हैं। भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पुतिन की यात्रा रूस के साथ बेमिसाल विश्वसनीय मैत्री और साझेदारी को मजबूत करने और पुन: दोहराने का अवसर देगी।

ब्राजील को एक अहम रणनीतिक साझेदार बताते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति माइकल टेमर की यात्रा उस देश के साथ सहयोग के कई नए क्षेत्र खोलेगी। उन्होंने कहा कि इस साल ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में भारत ने व्यापार, खेल, शिक्षा, फिल्म, छात्रवृत्ति और पर्यटन समेत विभिन्न क्षेत्रों में जनता के जनता से संपर्कों को बढ़ावा देने पर भारी जोर दिया है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 15-16 अक्तूबर को गोवा में आयोजित किया जाएगा। इसके बाद ब्रिक्स-बिम्सटेक विस्तारित शिखर सम्मेलन होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा था कि ‘दक्षिण एशिया में एक ही देश’ क्षेत्र में ‘आतंक के एजेंट’ फैला रहा है और इसे अलग थलग करना होगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूएनजीए में कहा था कि उरी समेत भारत में आतंकवादी हमले करने वाले गिरफ्तार आतंकवादियों के इकबालिया बयान ‘सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान की मिलीभगत का जीता जागता सबूत हैं।’ 16 अक्तूबर को आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स के सदस्यों के राष्ट्रप्रमुखों के अलावा भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और म्यांमा (स्टेट काउंसर) भी ब्रिक्स-बिम्सटेक विस्तारित बैठक में भाग लेने के लिए यहां आएंगे। ब्रिक्स-बिम्सटेक विस्तारित बैठक में जब भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमा (स्टेट काउंसर) और थाईलैंड के प्रधानमंत्री भाग लेंगे तो इस दौरान भारत बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) को पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास करेगा।

इसका महत्व हाल में दक्षेस शिखर सम्मेलन रद्द किए जाने के मद्देनजर बढ़ गया है। दक्षेस शिखर सम्मेलन में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के अलावा चार अन्य देशों के भाग न लेने का फैसला करने के बाद रद्द कर दिया गया था। इन देशों का कहना था कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए उचित वातावरण नहीं है। दक्षेस शिखर सम्मेलन का आयोजन पाकिस्तान में होना था। भारतीय अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि भारत का प्रयास रहेगा कि आतंकवादियों को पनाहगाह मुहैया कराने वाले एवं उनका वित्तपोषण करने वाले देशों से निपटने के तरीकों समेत आतंकवाद पर ब्रिक्स के परिणामी दस्तावेज में कड़ी भाषा का प्रयोग किया जाए। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) अमर सिन्हा ने कहा था कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है। इससे व्यक्तिगत रूप से नहीं निपटा जा सकता। इससे मिलकर निपटना होगा। हमारी आतंकवाद को लेकर भेद करने की नीति नहीं हो सकती। अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद कुछ नहीं होता। इसलिए, इन मुददों पर राष्ट्र के रख को बार बार दोहराया जाएगा।

ब्रिक्स समूह के एनएसए की बैठक में भारत ने जोरदार तरीके से इस बात की वकालत की थी कि केवल वित्तीय मदद मुहैया कराने वाले स्रोतों के खिलाफ ही कदम नहीं उठाया जाना चाहिए बल्कि उन स्रोतों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए, जहां से आतंकवादियों को हथियार एवं गोला बारूद मिलते हैं। ब्रिक्स के नेता जब महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर वार्ता करेंगे तो उस दौरान अफगानिस्तान, सीरिया एवं सूडान में सुरक्षा हालात पर भी चर्चा की जा सकती है। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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