नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "हमारा लक्ष्य 15 अगस्त, 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का है.
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन को पूरा करने का काम बहुत तेजी से जारी है. मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने चलाई जानी है. यह परियोजना 508 किलोमीटर लंबी है और इसमें 1,10,000 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है. बुलेट ट्रेन 21 किलोमीटर तक का सफर समंदर के अंदर भी तय करेगी. इसमें से करीब 88,000 करोड़ रुपये जापान की ओर से कर्ज के रूप में दिए जा रहे हैं. यह कर्ज केवल 0.1 प्रतिशत की नगण्य ब्याज दर पर दिया जा रहा है और भारत को इसे 50 साल में चुकाना होगा. गौरतलब है कि जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी गई थी.
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "हमारा लक्ष्य 15 अगस्त, 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का है. समुद्र के नीचे सुरंग बनाने का काम अगले वर्ष से शुरू हो जाएगा और 2022 तक पूरा हो जाएगा."
उन्होंने आगे बताया, "यहां पर काम केवल हाई टाइड (ऊंची-ऊंची लहरें) के दौरान ही किया जा सकता है, क्योंकि आधार बहुत ही कीचड़ जैसा है. इसलिए काम केवल 4-5 घंटे ही हो पाता है. लोगों को इधर-उधर ले जाने वाली नाव के साथ सेंट्रल लाइन पर नियंत्रण बनाए रखना कठिन होता है. हालांकि, जापानी विशेषज्ञों ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए हमें प्रशिक्षण दिया है."
पढ़ें- देश की पहली बुलेट ट्रेन 7 किमी समुद्र के भीतर दौड़ेगी, 11 खास बातें
खरे ने बताया, "हमने लगभ 250 मीटर के 66 जगह पर बोरहोल किए है. इन बोरहोल के बीच परतों का पता लगाने के लिए हमने जापान की कंपनी से उपकरण हासिल किए हैं. लगभग 21 किमी लंबी सुरंग में से 7 किमी समुद्र के नीचे होगी. हमें परतों को जानने की आवश्यकता है."
About 7 km of the 21 km long tunnel will be under sea. We need to know the strata which is good enough for the tunnel to cross through: Achal Khare, MD National High Speed Rail Corporation Limited to ANI on underwater tunnel at Thane Creek #BulletTrain pic.twitter.com/7zHB4sKA0k
— ANI (@ANI) December 19, 2017
We have dug 66 boreholes about 250 metres apart from each other. To know the strata between these boreholes, we have got equipment from a Japanese Company, which is doing the work for us: Achal Khare, MD National High Speed Rail Corporation Limited to ANI #BulletTrain pic.twitter.com/XrjLJ4poEf
— ANI (@ANI) December 19, 2017
The work here can be done only during high tides because the ground is very slushy. So working period is limited to only 4-5 hours. It is tough to control the boat along the Central Line which takes people to and fro, so Japanese have trained one of us to control it: Achal Khare pic.twitter.com/cGrxOxZ64k
— ANI (@ANI) December 19, 2017
We're aiming to complete project by 15th August 2022, which is the mandate given to us. The underwater tunnel will be started next year and will be completed by the end of 2022: Achal Khare, MD National High Speed Rail Corporation Limited to ANI on Mumbai–Ahmedabad #BulletTrain pic.twitter.com/FnBjlltWDY
— ANI (@ANI) December 19, 2017
Project is funded by Japanese Loan. 81% of the fund is being given by Japanese side. The loan is at a concessional rate of 0.1% for period of 50 years. It is a very generous term: Achal Khare, MD National High Speed Rail Corporation Limited to ANI on Mumbai–Ahmedabad #BulletTrain pic.twitter.com/OL1KWN5CYn
— ANI (@ANI) December 19, 2017
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने बीते 14 सितंबर को अहमदाबाद और मुंबई के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी. जापान के सहयोग से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में लगभग पांच साल लगेंगे और आम जनता को 2022 तक बुलेट ट्रेन चढ़ने का मौका मिलेगा. वैसे दुनिया के जिन देशों में फिलहाल हाई-स्पीड ट्रेन चल रही हैं उनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चाइना, फ्रांस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ताइवान, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. पांच साल बाद भारत का नाम भी इसमें शुमार हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट में तकनीकी सहयोग के लिए जापान को चुनने के पीछे उसकी तकनीक और सुरक्षात्मक पहलू हैं. जापान की बुलेट ट्रेन ज्यादा सुरक्षित मानी जाती हैं और अब तक कोई भी बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है.
वैसे दुनियाभर में सबसे बड़े हाई-स्पीड ट्रैक वाले नेटवर्क की बात करें तो चीन सबसे आगे है. चीन के पास लगभग 22,000 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड रेलवे ट्रैक है. दुनिया में सबसे तेज बुलेट ट्रेन भी चीन में ही चलती है. लगभग 350 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली यह ट्रेन 1250 किमी की यात्रा साढ़े चार घंटे में ही पूरी कर लेती है.