राजस्थान के मंत्री ने किया अध्यादेश का बचाव,'सरकार बेवजह काम में अड़ंगा डालने वालों पर अंकुश लगाना चाहती है'
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राजस्थान के मंत्री ने किया अध्यादेश का बचाव,'सरकार बेवजह काम में अड़ंगा डालने वालों पर अंकुश लगाना चाहती है'

अध्यादेश के तहत राज्य सरकार की मंजूरी के बिना लोक सेवकों के खिलाफ पुलिस ना कोई मुकदमा दर्ज़ कर सकेगी, ना ही जांच कर सकेगी, ना ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे सकेगा.

 

 गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सरकार की मंशा बेवजह काम में अडंगा डालने वाले लोगों और बेवजह अपने नाम की प्रसिद्धि पाने वाले लोगों पर अंकुश लगाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया. (फोटो साभार - ANI)

जयपुर :  राजस्थान सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर दंड प्रक्रिया संहिता व भारतीय दंड संहिता में संशोधन किया है जिसके तहत राज्य सरकार की मंजूरी के बिना शिकायत पर जांच के आदेश देने और जिसके खिलाफ मामला लम्बित है, उसकी पहचान सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी गई है. अध्यादेश के अनुसार, राज्य सरकार की मंजूरी नहीं मिलने तक जिसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना है, उसकी तस्वीर, नाम, पता और परिवार की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी. इसकी अनदेखी करने पर दो साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने शनिवार को कहा है कि सरकारी अ​धिकारियों और कर्मचारियों को बेवजह परेशान करने से निजात दिलाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है.

  1. राजस्थान सरकार ने जारी किया नया अध्यादेश.
  2. लोकसेवक के खिलाफ केस सरकार की मंजूरी के बाद ही दर्ज हो सकेगा. 
  3. पीयूसीएल ने किया सरकार के अध्यादेश का विरोध. 

गत सात सितम्बर को जारी अध्यादेश के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अदालत शिकायत पर सीधे जांच का आदेश नहीं दे पाएगी. अदालत, राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही जांच के आदेश दे सकेगी. अध्यादेश के तहत राज्य सरकार की मंजूरी के बिना लोक सेवकों के खिलाफ पुलिस ना कोई मुकदमा दर्ज़ कर सकेगी, ना ही जांच कर सकेगी, ना ही मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे सकेगा.

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पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधेकांत सक्सेना और प्रदेश अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने इस अध्यादेश का विरोध करते हुए कहा है कि इससे अदालतों और मीडिया के अधिकार सीमित हो जायेंगे. पीयूसीएल ने कहा कि इस अध्यादेश को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.

दोनों पदाधिकारियों ने अध्यादेश के खिलाफ शनिवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि जारी अध्यादेश के अनुसार अब राज्य सरकार की राय, अनुमति के बिना लोक सेवक, जज, मजिस्ट्रेट के विरुद्ध अनुसन्धान या प्राथमिकी नहीं दर्ज़ हो सकेगी और न ही लम्बित मामले के बारे में कोई लिख सकेगा. सक्सेना ने आरोप लगाया कि अपने गलत कारनामों पर पर्दा डालने के लिए राजस्थान सरकार संवैधानिक व उच्चतम न्यायलय के घोषित कानूनों के विरुद्ध जाकर इस तरह के संशोधन लाई है.

सरकार की मंशा साफ है : कटारिया
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने शनिवार को कहा है कि सरकारी अ​धिकारियों और कर्मचारियों को बेवजह परेशान करने से निजात दिलाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार 23 अक्टूबर से शुरू हो रहे राजस्थान विधानसभा के सत्र में इस पर विधेयक लेकर आएगी इसलिए इस बारे में इससे अधिक कुछ नहीं बताया जा सकता. 
कटारिया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि एक सौ-अस्सी दिन में सरकार की अनुमति नहीं मिलने पर अनुमति मान ली जाएगी और अग्रिम कार्यवाही की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा बेवजह काम में अडंगा डालने वाले लोगों और बेवजह अपने नाम की प्रसिद्धि पाने वाले लोगों पर अंकुश लगाने के लिए यह अध्यादेश लाया गया , सरकार की भावना और मंशा बिलकुल साफ है.

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