2020 तक कार्ड, एटीएम, पीओएस सब हो जाएंगे बेमानी, अंगूठे से होगा लेनदेन : नीति आयोग
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2020 तक कार्ड, एटीएम, पीओएस सब हो जाएंगे बेमानी, अंगूठे से होगा लेनदेन : नीति आयोग

नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के बीच नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एटीएम और पांइट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनें सभी 2020 तक देश में बेमानी हो जाएंगी। किसी भी प्रकार के लेनदेन के लिए सिर्फ अंगूठे का इस्तेमाल होगा। 

2020 तक कार्ड, एटीएम, पीओएस सब हो जाएंगे बेमानी, अंगूठे से होगा लेनदेन : नीति आयोग

बेंगलुरू : नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के बीच नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एटीएम और पांइट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनें सभी 2020 तक देश में बेमानी हो जाएंगी। किसी भी प्रकार के लेनदेन के लिए सिर्फ अंगूठे का इस्तेमाल होगा। 

उन्होंने कहा, ‘भारत आज वित्तीय प्रौद्योगिकी और सामाजिक नवोन्मेष दोनों क्षेत्रों में भारी उठापटक के दौर से गुजर रहा है। इन क्षेत्रों में यहां काफी कुछ नई चीजें हो रहीं हैं और यही उठापटक भारत को काफी आगे ले जायेगी। और 2020 तक मेरा मानना है कि अगले ढाई साल में भारत में सभी तरह के डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एटीएम मशीनें और पीओएस मशीनें पूरी तरह से बेकार हो जायेंगी।’ 

कांत आज यहां प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन 2017 के एक सत्र को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन तीन दिन तक चलेगा। उन्होंने कहा, ‘भारत में ये सभी चीजें बेकार हो जायेंगी और भारत यह छलांग लगायेगा कि हर भारतीय यहां केवल अपना अंगूठा लगाकर 30 सेकंड में लेनदेन करने लगेगा।’ युवा प्रवासी भारतीय दिवस को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, ‘हम इस समय देश में डिजिटल तरीकों से भुगतान को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं और इसमें कई नये तरीकों के सामने आने से काफी उठापटक चल रही है।

उन्होंने कहा कि इस उठापटक के बीच भारत ने बायोमेट्रिक में काफी प्रगति की है जिससे काफी सफलता मिलेगी। उन्होंने हाल में जारी ‘भीम’ एप और ‘आधार’ के जरिये होने वाली भुगतान प्रणाली का जिक्र किया। कांत ने कहा कि भारत व्यापक तौर पर नकदी से चलने वाली अर्थव्यवस्था रही है लेकिन अब यहां एक अरब के करीब मोबाइल ग्राहक है और इतने ही बायोमेट्रिक भी हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अनौपचारिक से औपचारिक अर्थव्यवस्था बनने की जरूरत है। अब तक यहां केवल दो से ढाई प्रतिशत लोग ही कर का भुगतान करते रहे हैं।

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