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नई दिल्ली : केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने देवास-एंट्रिक्स सौदे में 578 करोड़ रुपये की कथित गड़बड़ी की जांच का मामला दायर करने के बाद बुधवार को तलाशी की कारवाई की। एंट्रिक्स इसरो की वाणिज्यिक इकाई है जबकि देवास एक निजी क्षेत्र की मल्टी मीडिया कंपनी है।
सीबीआई ने सोमवार को सौदे में कथित गडबड़ी की जांच का मामला दायर करने के बाद देवास लिमिटेड और बेंगलुरु में एंट्रिक्स के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक केआर श्रीधर मूर्ति के परिसरों की तलाशी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सीबीआई ने मामला दर्ज करते हुये मूर्ति, फोर्ज एडवाइजर्स के एमजी चंद्रशेखर व आर. विश्वनाथन, देवास मल्टी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एंट्रिक्स के अज्ञात अधिकारियों, इसरो और अंतरिक्ष विभाग के खिलाफ बेंगलुरु की प्राधिकृत अदालत में प्राथमिकी दायर की है।
एजेंसी ने मामले में भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश 120-बी, धोखाधड़ी 420 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दायर किया है। एंट्रिक्स-देवास सौदे के बाद ही इसरो के चेयरमैन जी. माधवन नायर को जल्द बाहर होना पड़ा। नायर उस समय जब सौदे को अंतिम रूप दिया गया एंट्रिक्स की गवनिर्ंग काउंसिल के चेयरमैन थे। मामले में जिन लोगों जिन लोगों शामिल किया गया है उनपर आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। सरकारी अधिकारियों ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग करते हुये देवास का पक्ष लिया और उसे जीसैट-6 और जीसैट-6ए उपग्रह के भू-स्थित प्रणाली के एस-बैंड का इस्तेमाल करते हुये मोबाइल फोन के लिये वीडियो, मल्टीमीडिया और सूचना सेवाओं की डिलीवरी के अधिकार दिये।
सीबीआई का आरोप है कि ऐसा कर इन अधिकारियों ने निजी कंपनी को 578 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ उठाने का अवसर दिया।