नहाय-खाय के साथ छठ पूजा शुरू, 34 साल बाद बना था महासंयोग
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नहाय-खाय के साथ छठ पूजा शुरू, 34 साल बाद बना था महासंयोग

बिहार की राजधानी पटना सहित प्रदेश के अन्य भागों में मंगलवार की सुबह इस महापर्व की शुरुआत व्रतियों और श्रद्धालुओं ने नहाय-खाय के साथ की. 

बुधवार को खरना (लोहंडा) होगा जिसमें व्रतधारी दिन भर का उपवास रखेंगे.... (फाइल फोटो)

पटना: भगवान भास्कर की आराधना का लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा मंगलवार सुबह नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. बिहार की राजधानी पटना सहित प्रदेश के अन्य भागों में मंगलवार की सुबह इस महापर्व की शुरुआत व्रतियों और श्रद्धालुओं ने नहाय-खाय के साथ की. पटना में गंगा नदी सहित राज्य के अन्य भागों में आज सुबह व्रतियों और श्रद्धालुओं ने विभिन्न नदियों एवं तालाबों में स्नान करने के बाद चने की दाल, कद्दू की सब्जी व अरवा चावल से बनाये प्रसाद का ग्रहण किया.

कल यानी बुधवार को खरना (लोहंडा) होगा जिसमें व्रतधारी दिन भर का उपवास रखेंगे तथा शाम को स्नान करने के बाद गन्ने के रस अथवा गुड, दूध और चावल की बनी खीर के साथ चावल के आटा का पिट्ठा तथा घी चुपडी रोटी का प्रसाद तैयार करेंगे. इस प्रसाद को भगवान सूर्य को अर्पित करने के बाद उसे व्रती ग्रहण करेंगे तथा श्रद्धालुओं के बीच वितरित करेंगे. खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु हो जायेगा और आगामी गुरुवार की शाम को वे अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे. शुक्रवार की प्रात: व्रतियों द्वारा उदीयमान सूर्यदेव को दूसरा अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय लोक आस्था का यह पर्व संपन्न हो जाएगा. 

34 साल बाद बना था महासंयोग
नहाय-खाय पर यानी छठ पूजा के पहले दिन मंगलवार की गणेश चतुर्थी है. गणेश जी हर काम में मंगल ही मंगल करेंगे. पहले दिन सूर्य का रवियोग भी है. ऐसा महासंयोग 34 साल बाद बना. रवियोग में छठ की विधि-विधान शुरू करने से सूर्य हर कठिन मनोकामना भी पूरी करते हैं. चाहे कुंडली में कितनी भी बुरी दशा चल रही हो, चाहे शनि राहु कितना भी भारी क्यों ना हों, सूर्य के पूजन से सभी परेशानियों का नाश हो जाता है. ऐसे महासंयोग में यदि सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हवन किया जाए तो आयु बढ़ती है.

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