...तो अब मुर्गे-मुर्गियों की टांग से बनेंगे हैंडबैग
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...तो अब मुर्गे-मुर्गियों की टांग से बनेंगे हैंडबैग

गोमांस पर पाबंदी के बाद देश में चमड़ा उत्पादन घटने के आसार को देखते हुए वैज्ञानिकों ने मुर्गे-मुर्गियों की टांगों की मदद से फैब्रिक के उत्पादन का एक नायाब तरीका इजाद किया है। इस तरह के फैब्रिक भी अब तक इस्तेमाल किए जा रहे छोटे घड़ियाल से बनने वाले फैब्रिक की तरह होंगे।

...तो अब मुर्गे-मुर्गियों की टांग से बनेंगे हैंडबैग

नयी दिल्ली: गोमांस पर पाबंदी के बाद देश में चमड़ा उत्पादन घटने के आसार को देखते हुए वैज्ञानिकों ने मुर्गे-मुर्गियों की टांगों की मदद से फैब्रिक के उत्पादन का एक नायाब तरीका इजाद किया है। इस तरह के फैब्रिक भी अब तक इस्तेमाल किए जा रहे छोटे घड़ियाल से बनने वाले फैब्रिक की तरह होंगे।

सीएसआईआर के महानिदेशक गिरीश साहनी ने कहा, ‘कुछ राज्यों में गोमांस पर पाबंदी और हरित प्रौद्योगिकी की उपलब्धता को देखते हुए हमने केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई) से कहा कि वह कृत्रित चमड़ा या फिर दूसरा विकल्प लेकर आएं ताकि मांग को पूरा किया जा सके।’ 

सीएलआरआई केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक संस्थान (सीएसआईआर) के तहत काम करने वाली प्रयोगशाला है। वह मुर्गें-मुर्गियों के टांगों से चमड़ा बनाने की प्रौद्योगिकी लेकर सामने आई है जो छोटे घड़ियाल के फैब्रिक की गुणवत्ता वाला होगा। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि गायों के काटने पर पाबंदी का चमड़ा उत्पादन पर शायद ही कोई असर हो, क्योंकि भेड़, बकरे-बकरियों और भैंस चमड़े के दूसरे स्रोत हैं।

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